//हासत हे भगवान // {दोहा गीत} अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान । जेखर मन मा आन हे, अउ बाहिर मा आन ।। साजे बाना साधु के, राज महल बनवाय । चेला चाटी जोर के, पूजा अपन कराय ।। बनके खुद भगवान ओ, बइठे खुरसी तान । अइसन मनखे देख के, मुच मुच हासय भगवान । कहिथे भर नेता मनन, मैं जनता के दास । सब सुख ला खुद भोगथे, जनता रहय उदास ।। नेता बनके आदमी, मूॅंदे आॅखी कान । अइसन मनखे देख के,हासत हे भगवान । विद्या मंदिर खोल के, धंधा अपन चलाय । ज्ञान नीति ला छोड़ के, बाकी सबो पढ़ाय ।। मनखे कोनो ना गढ़य, गढ़थे सब विज्ञान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान । वृद्धा आश्रम खोल के, चंदा खूब कमाय । लइका सब सेवा करय, नियम कोन बनवाय ।। सास ससुर ला छोड़ के, बहू देखावय शान । अइसन मनखे देख के, मुच मुच हासय भगवान । गंगा के पूजा करय, तन मन बोर नहाय । गंदा पानी गांव के, गंगा मा बोहाय । गउमाता जे मन कहय, छेके हे गउठान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान ।। अपन सबो अधिकार ला, धरे हवे जे हाथ । जाने बर कर्तव्य ला, देवय ना ओ साथ । बार बार हड़ताल कर, लागे खूब महान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगव