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संदेश

कतका झन देखे हें-

मनखे मनखे बाज

राजनीति के डोर मा, मनखे मन छंदाय । मनखे होगे जानवर, मनखेपन नंदाय ।। जात धरम हा मांस हे, मनखे मनखे बाज । आघू पाके मांस ला, चिथ चिथ के सब खाय ।। -रमेश चौहान

जय हो जय हो भारत माता

जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन । सुत उठ के बड़े बिहनिया हम, तोरे पांव पखारन । हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, जैन बौद्ध सुत तोरे । अपन अपन सुर मा सउरय सब, दाई दाई मोरे । तोरे कोरा बइठे बइठे, जुरमिल हम इतरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन । जम्मू श्रीनगर मुड़ी तोरे, मुकुट हिमालय भाये। शिमला तोरे माथे बिन्दी, दुनिया ला चमकाये ।। नाक नई दिल्ली हे तोरे, नथली हम पहिरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। उत्तरकाशी चंड़ीगढ़ हा, आंखी कारी कारी । जयपुर पटना गाल गुलाबी, मथुरा मुॅह अनुहारी । बाड़मेर कच्छ कोहिमा अउ, मणिपुर हाथ सवारन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। गंगा चम्बल गोरस तोरे, अमृत ला छलकाये । छाती भोपाल रायपुर दिल, अन्न धन्न बगराये। तोरे गोरस पीये दाई, हमघात मेछरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। (चम्बल-यमुना नदी के सहायक नदी) जगन्नाथ पेट बने हे, हरियर पर्वत साड़ी । जांघ शिमोगा संग कड़प्पा, माहे मदुरै माड़ी रामनाथपुरम संग कोल्लम, तरपौरी मनभावन जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। मूर्ति गढ़े न मूर्ति पूजा

गांठ बांध ये गोठ ला

छोड़व जुन्ना गोठ, नवा रद्दा गढ़ना हे । लड़ई झगरा छोड़, आघु हमला बढ़ना हे । मोर धरम हे मोर, धर्म तोरे हा तोरे । अपन अपन ला मान, आन ला काबर घोरे । तोर कमाई तोर हे, दूसर के हा आन के । गांठ बांध ये गोठ ला, संगे खेलव तान के ।।

कुॅवा पार मा (युगल गीत)

नायिका- कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- सुरता आवत हावे संगी, बीते हमर कहानी । संग सहेली रहिन न कोनो, भरत रहंव मैं पानी ।। कोन डहर ले कब के आयो, खड़े रहे तैं भोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- सुरता के कोठी के छबना, देखत हॅव मैं खोले । देख देख काली के बाते, मन हा मोरे डोले ।। तोरे मोरे आंखी कइसे, तोरे मोरे आंखी कइसे, चढ़े एक हिंडोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- भरत भरत पानी हउला मा, देखेंव तोर काया । देखत देखत कइसे संगी, जागे तोरे माया ।। आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, ...... आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, होष रहय ना मोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- उतर सरग ले एक परी हा, भरत रहिस हे पानी । पाके आमा जइसे जेमा, छलकत रहिस जवानी ।। मारू

कोन बड़े बात हे

1- हरियर हरियर दिखथे दुनिया अपन चश्मा के रंग ले । लाली पीला घलो हवय बाबू देख तो दंग दंग ले । कर्तव्य हा शेष नाग कस बोहे हे ये धरती ला, काबर अपन बोझा घालहे राखे आने के संग ले ।। 2- मन के हारे ले, थिराय बर छांव चाही । मन ला कर पोठ, जीते बर दांव चाही ।। बैरी कहू सुरूज बनय त, तैं हनुमान बन, हर हालत मा अपन देश अउ गांव चाही ।। 3- पथरा ले रस्सी टूटय कोन बड़े बात हे । पथरा मारय टोरय, येही ओखर जात हे ।। रस्सी के आय जाय ले, पथरा मा निशान हे, रस्सी बर एखर ले अउ कोन बड़े बात हे ।

ये अचरज के बात हे

पेट भरे बर एक हा, हजम करे बर एक । दूनों रेंगय कोस भर, भोगय रोग हरेक ।। रोटी खोजय एक हा, बेरा खोजय एक । दूनों मेरा हे कमी, मनखे हवय जतेक ।। कइसन ये लाचार हे, परे रहय बीमार । कइसन ओ बीमार हे, बने रहय लाचार ।। -रमेश चौहान

//मया//

मन हा मया खोजथे, चारो खूंट । पाये बिना घूटके, महुरा घूंट ।। बने मया बर तन मन, मया म रंग । मनखे जीव जीव हा, होय न तंग ।। कइसन रंग मया के, कइसन रूप । खोजत हे गरीब मन, खोजय भूप ।। देखे मया कोन हा, छूये कोन । रग रग मा हवय घुरे, बन गुड़ गोन ।। मया हवय धरती मा, जस भगवान । देखय ना तो आंखी, सुने न कान । मया हमर सुभाव हे, घुसरे साॅस । मनखे मनखे ला ये, राखे फाॅस ।।

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