खरे मझनिया जेठ के, सावन अस तो भाय । ठुड़गा ठुड़गा रूख घला, पुरवाही बरसाय ।। तोर मया के रंग ले, जब रंगे मन मोर । फांदा के चारा घला, मोला गजब मिठाय ।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले