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संदेश

कतका झन देखे हें-

मुक्तक

डगर मा पांव अउ मंजिल मा आँखी होवय । सरग ला पाय बर तोरे मन पाँखी होवय ।। कले चुप हाथ धर के बइठे मा का होही । बुता अउ काम हा तुहरे अब साँखी होवय ।।

यशोदा के ओ लाला

नंदलाल के लाल, यशोदा के ओ लाला । बासुरिया धुन छेड़, जगत मा घोरे हाला ।। माखन मटकी फोर, डहर मा छेके ग्वाला । बइठ कदम के डार, बलावत हस तैे काला । ओ बंशी के तान, सुने बर मोहन प्यारे । जड़ चेतन सब जीव, अपन तन मन ला हारे ।। सुन लव मोर पुकार, फेर ओ बंशी छेड़व । भरे देह मा पीर, देह ले कांटा हेरव ।।

जीबो मरबो देश बर

एक कसम ले लव सबो, जीबो मरबो देश बर । करब देश हित काम सब, गढ़ब चरित हम देश बर ।। मरना ले जीना कठिन,  जी के हम तो देखबो । तिनका तिनका देश बर, चिरई असन सरेखबो ।। भरबो मरकी देश के, बूँद-बूँद पानी होय के । जुगुनू जस बरबो हमन, जात-पात अलहोय के ।। अपन गरब सब छोड़ के, गरब करब हम देश बर । एक कसम ले लव सबो देश धरम सबले बड़े, जेला पहिली मानबो । पाछू अल्ला राम ला,  हमन देवता जानबो ।। भाषा-बोली  के साज मा, गाबो एके तान  रे । दुनिया भर मा देश के, हमन बढ़ाबो शान रे ।। अपने घर परिवार कस, करब मया हम देश बर ।।एक कसम ले लव सबो बैरी हा काहीं करय, फसन नहीे हम चाल मा । सधे पाँव ले रेंगबो, अपन डगर हर हाल मा । बेजाकब्जा छोड़बो, छोड़ब भ्रष्टाचार ला । करब अपन कर्तव्य ला, चातर करब विचार ला । मिल जाही अधिकार हा, करम करब जब देश बर ।।एक कसम ले लव सबो

धन धन तुलसी दास ला,

धन धन तुलसी दास ला, धन धन ओखर भक्ति ला। रामचरित मानस रचे,  कहिस चरित के शक्ति ला ।। मरयादा के डोर मा, बांध रखे हे राम ला । गढ़य चरित मनखे अपन, देख राम के काम ला । जीवन जीये के कला, बांटे तुलसी दास हा । राम बनाये राम ला, मरयादा के परकाश हा ।। रामचरित मानस पढ़व, सोच समझ के लेख लव । कइसे होथे संबंध हा, रामचरित ले देख लव ।। राम राज के सोच हा, कइसे पूरा हो सकत । कोनो न सुधारे चरित, बोलत रहिथें बस फकत ।।

आगे आगे सावन आगे

आगे आगे सावन आगे, जागे भाग हमार । अपन मनौती मन मा लेके, जाबो शिव दरबार ।। धोवा धोवा चाउर धर ले, धर ले धतुरा फूल । बेल पान अउ चंदन धर ले, धर ले बाती फूल ।। दूध रिको के पानी डारब, अपन मया ला घोर । जय जय महादेव शिव शंकर, बोलब हाथे जोर ।। सोमवार दिन आये जतका, रहिबो हमन उपास । मन के पीरा हमरे मिटही, हे हमला विश्वास ।। मन मा श्रद्धा के जागे ले, मिल जाथे भगवान । नाम भले हे आने आने, नो हय कोनो आन ।।

आज हरेली हाबे

छन्न पकइया छन्न पकइया, आज हरेली हाबे । गउ माता ला लोंदी दे के, बइला धोये जाबे । छन्न पकइया छन्न पकइया, दतिया नांगर धोले । झउहा भर नदिया के कुधरी, अपने अॅगना बो ले ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, कुधरी मा रख नागर । चीला रोटी भोग लगा के, खा दू कौरा आगर ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, ये पारा वो पारा । राउत भइया हरियर हरियर, खोचे लिमवा डारा । छन्न पकइया छन्न पकइया, घर के ओ मोहाटी । लोहारे जब खीला ठोके, लागे ओखर साटी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, केवट भइया आगे । मुड़ मा डारे मछरी जाली, लइका मन डररागे ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नरियर फेके जाबो । खेल खेल मा जीते नरियर, गुड़ मा भेला खाबो ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, गेड़ी चर-चर बाजे । चढ़य मोटियारी गेड़ी जब, आवय ओला लाजे ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, सबले पहिली आथे । परब हरेली हमरे गढ़ के, सब झन ला बड़ भाथे ।।

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