ये मनखे चोला, सुन रे भोला, मरकी जइसे, फूट जथे । ये दुनियादारी, चार दुवारी, परे परे तो, छूट जथे ।। मनखेपन छोड़े, मुँह ला मोड़े, सबो आदमी, ठाँड़ खड़े । अपने ला माने, छाती ताने, मारत शाने, दांव लड़े ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
-
मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले