नांगर बइला फांद, अर्र-तता रगियाये जब-जब धनहा मा, किसनहा गाँव के । दुनिया के रचयिता, जग पालन करता दुनिया ला सिरजाये, ब्रम्हा बिष्णु नाम के ।। धरती दाई के कोरा, अन्न धरे बोरा-बोरा दूनो हाथ उलचय, किसान के कोठी मा । तर-तर बोहावय, जब-तक ओ पसीना तब-तक जनाही ग, स्वाद तोर रोटी मा ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले