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कतका झन देखे हें-

मुकतक (पीये बर पानी मिलत नई हे)

ऊपर वाले हा ढिलत नई हे हमरे भाखा ओ लिलत नई हे सेप्टिक बर आवय कहां ले पीये बर पानी मिलत नई हे -रमेश चौहान

मुक्तक (दूसर ला राखे बर चूरत हस)

अपने भाई ला बेघर करके बैरी माने तैं बंदूक धरके दूसर ला राखे बर चूरत हस अपने भेजा मा भूसा भरके -रमेश चौहान

हे गणनायक

हे गणनायक देव गजानन (मत्तगयंद सवैया) हे गणनायक देव गजानन राखव राखव लाज ल मोरे । ये जग मा सबले पहिली प्रभु भक्तन लेवन नाम ल तोरे । तोर ददा शिव शंकर आवय आवय तोर उमा महतारी ।। कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी । राखय शर्त जभे शिवशंकर अव्वल घूमय सृष्टि ल जेने । देवन मा सबले पहिली अब देवन नायक होहय तेने ।। अव्वल फेर करे ठहरे प्रभु सृष्टिच मान ददा महतारी । कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी ।। काम बुता शुरूवात करे बर होवय तोर गजानन पूजा । मेटस भक्तन के सब विध्न ल विघ्नविनाशक हे नहि दूजा ।। बुद्धि बने हमला प्रभु देवव हो मनखे हन मूरख भारी । कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी ।

तीजा

  मत्तगयंद सवैया हे चहके बहिनी चिरई कस हॉसत गावत मानत तीजा । सोंध लगे मइके भुइया बड़ झोर भरे दरमी कस बीजा ।। ये करु भात ह मीठ जनावय डार मया परुसे जब दाई । लाय मयारु ददा लुगरा जब छांटत देखत हाँसय भाई ।।

तीजा-पोरा

आवत रहिथन मइके कतको, मिलय न एक सहेली । तीजा-पोरा के मौका मा, आथे सब बरपेली ।। ओही अँगना ओही चौरा, खोर-गली हे ओही । आय हवय सब सखी सहेली, लइकापन ला बोही । हमर नानपन के सुरता ला, धरे हवन हम ओली । तीजा-पोरा मा जुरिया के, करबो हँसी ठिठोली ।। तरिया नरवा घाट घठौंदा, जुरमिल के हम जाबो । जिनगी के चिंता ला छोड़े, लइका कस सुख पाबो ।। अपन-अपन सुख दुख ला हेरत, हरहिंछा बतियाबो । तीजा-पोरा संगे रहिके, अपन-अपन घर जाबो ।

पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान

नदिया छेके नरवा छेके, छेके हस गउठान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। डहर गली अउ परिया छेके, छेके सड़क कछार । कुँवा बावली तरिया पाटे, पाटे नरवा पार ।। ऊँचा-ऊँचा महल बना के, मारत हवस शान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। रूखवा काटे जंगल काटे, काटे हवस पहाड़ । अपन सुवारथ सब काम करे, धरती करे कबाड़ ।। बारी-बखरी धनहा बेचे, खोले हवस दुकान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। गिट्टी पथरा अँगना रोपे, रोपे हस टाइल्स । धरती के पानी ला रोके, मारत हस स्टाइल्स ।। बोर खने हस बड़का-बड़का, पाबो कहिके मान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।

कइसे जी भगवान

जर भुंजा गे खेत मा, बोये हमरे धान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। तरसत हन हम बूंद बर, धरती गे हे सूख । बरस आय ये तीसरा, पीयासे हे रूख ।। ठोम्हा भर पानी नही, कइसे रखब परान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। खेत-खार पटपर परे, फूटे हवय दरार । नदिया तरिया नल कुँवा, सुख्खा हावे झार ।। हउला बाल्टी डेचकी, मूंदे आँखी कान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। बादर होगे दोगला, मनखे जइसे आज । चीं-ची चिरई मन कहय, पापी मन के राज ।। मनखे हावय लालची, बेजाकब्जा तान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।।

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