सावन तैं करिया बिलवा हस, तैं छलिया जस कृष्ण मुरारी । जोहत-जोहत रोवत हावँव, आत नई हस मोर दुवारी ।। बूँद कहां तरिया नरवा कुछु बोर कुवाँ नल हे दुखियारी । बावत धान जरे धनहा अब रोय किसान धरे मुड़ भारी ।। पीयब धोब-नहावब के अब संकट ले बड़ संकट भारी । बोर अटावत खेत सुखावत ले कइसे अब जी बनवारी । आवव-आवव बादर सावन संकट जीवन मा बड़ भारी ।। देर कहूँ अब तैं करबे तब। जीयत बाचब ना जग झारी ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले