गुरु घासी दास बाबा, सत के अलख जगायें ये धाम म । सत के अलख जगायें ये धाम म ...2 सादा तोर खम्भा बाबा, सादा तोर धजा , सादा तोर धजा बाबा, सादा तोर धजा, सत के धजा फहरायें ये धाम म । मनखे मनखे एक होथे, मनखे ल बतायें मनखे ल बतायें बाबा, मनखे ल बतायें मनखे मन के छुवाछूत ल मिटायें ये धाम म ।
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
-
मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
3 दिन पहले