धरे कलम गुनत हंव का लिखंव लइकामन बर संस्कार के गीत लिखंव, कचरा बिनईया लइकामन के चित्र खिचंव । कोनो कोनो लइका विडि़यो गेम खेलय, कोनो कोनो लइका ठेला पेलय । कोनो कोनो कतका महंगा स्कूल म पढ़य, कोनो कोनो बचपन म जवानी ल गढ़य । कोखरो कोखरो के संस्कार ल, ददा दाई मन दे हे बिगाड़। कोखरो कोखरो ददा दाई मन, भीड़ा दे हे जिये के जुगाड़ । बड़ आंगाभारू लइकामन के संसार ऐमा मै नई सकंव, धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव । धरे कलम गुनत हंव का लिखंव लिखथे सब मया मिरीत के बोल, रखदंव महू अपन हिरदय ल खोल । करेन बिहाव तब ले मया करे ल जानेन, ददा दाई कहिदेइस तेने ल अपन मानेन । अब तो बर न बिहाव देखावत हे दिल के ताव, बाबू मन रंग रूप ल त नोनी मन धन दोगानी ल देवत हे कइसन के भाव । जेन भाग के करे बिवाह तेखर मन के दशा ल विचार, न ददा के न दाई के घिरर घिरर के जिये बर लाचार । बड़ आंगाभारू हे मया पिरित के संसार ऐमा मै नई सकंव, धरे कलम गुनत हंव अब का लिखंव । धरे कलम गुनत हंव का लिखंव कतको झन लिखत हे नेतागिरी म व्यंग, महू लिखतेव सोच के रहिगेव दंग । ऐ नेतामन कोन ऐ करिया अक्षर भईंस बरोबर, जम्मो झन...
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम
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प्रयागराज, जिसे त्रिवेणी संगम के लिए जाना जाता है, इस वर्ष महाकुंभ के पावन
अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं, साधु-संतों और पर्यटकों का स्वागत कर रहा है।
महाकुंभ क...
8 घंटे पहले