पीरा होथे देख के, टूरा मन ला आज । कतको टूरा गाँव के, मरय न एको लाज । मरय न एको लाज, छोड़ के पढ़ई-लिखई । मानय बड़का काम, मात्र हीरो कस दिखई ।। काटय ओला आज, एक फेशन के कीरा । पाछू हे हर बा...
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
-
मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
1 हफ़्ते पहले