चाल बदल गे ढाल बदल गे, जब ले आए कोरोना । काम बंद हे दाम बंद हे, परगे हे हमला रोना ।। काम-बुता के लाले परगे, कइसे अब होय गुजारा । कतका हम डर्रावत रहिबो, परय न पेट म जब चारा । रोग बड़े हे के पेट बड़े, संसो हे गा बड़ भारी । कोरोनो-कोरोना चिहरत, कभू मिटय न अंधियारी ।। घर मा घुसरे-घुसरे संगी, दू पइसा घला न आवय । काम-बुता बिन पइसा नइ हे, पइसा बिन कुछु ना भावय ।। दूनों कोती ले मरना हे, कइसे के जीबो संगी । घुसर-घुसरे घर मा मरबो, बाहिर कोरोना जंगी ।। ऊँपर वाले कुछु तो सोचव , कइसन हे तोर तमासा । जीयन देबे ता जीयन दे, टूटत हे तोरे आसा ।।
पानी के दांत जामे हे चाब दिही मोला वो
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ये वो दाई सुन तो बताथंव एक ठिन गोठ वोभोभली पानी के घलो जाम गेहे दांत वोते ह
असनांदे बर झन कहिबे मोलापानी के दांत जामे हे चाब दिही मोला वो..हु हु हु हु
करत ...
1 दिन पहले