अपने ला पहिचान, देह हस के तैं आत्मा । पाँच तत्व के देह, जेखरे होथे खात्मा ।। देह तत्व ले आन, अमर आत्मा हा होथे । करे देह ला यंत्र, करम फल ला वो बोथे ।। रंग-रूप ला छोड़ के, करम तोर पहिचान हे । मनखेपन ला मान, तोर येही अभिमान हे ।।
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
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1 हफ़्ते पहले