अपने ला पहिचान, देह हस के तैं आत्मा । पाँच तत्व के देह, जेखरे होथे खात्मा ।। देह तत्व ले आन, अमर आत्मा हा होथे । करे देह ला यंत्र, करम फल ला वो बोथे ।। रंग-रूप ला छोड़ के, करम तोर पहिचान हे । मनखेपन ला मान, तोर येही अभिमान हे ।।
एक लघु आलेख:अब युद्ध क्यों होते हैं? – डॉ. अर्जुन दूबे
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त्रेता युग में रचा गया राम-रावण युद्ध भारतीय इतिहास की उस पहली महान कथा का
रूप ले चुका है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच की रेखा स्पष्ट खींच दी…
1 हफ़्ते पहले