भाषा अपन बिगाड़ मत, देखा- शे खी आन कहाये । देवनागरी के सबो, बावन अक्षर घात सुहाये ।। छत्तीसगढ़ी मा भरव, सबो वर्ण ले शब्द बनाए । कदर बाढ़ही एखरे , तत्सम आखर घला चलाए ।। पढ़े- लिखे अब सब हवय, उच्चारण ला पोठ बनाही। दूसर भाषा संग तब, अपने भाषा हाथ मिलाही । करव मानकीकरण अब, कलमकार सब एक कहाये । पोठ करव लइका अपन, भाषा अपने पोठ धराये ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले