अरे बेटा, गोठ सुन तो, चलय काम कइसे ।  घूमत हवस, चारो डहर, घूमय मन जइसे ।।  चारो डहर, नौकरी ला, खोजत हस दुनिया ।  आसा छोड़, अब येखरे, ये हे बैगुनिया ।।   जांगर पेर, काम करथे, घर के ये भइसा ।  खेत जाबो, हम कमाबो, पाबो दू पइसा ।।  तोर अक्कल, येमा लगा, कर खेती बढ़िया ।  ठलहा होय, बइठ मत तैं, बन मत कोढ़िया ।।     
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
1 दिन पहले
