हमरो खुशी अब नइये कोखरो ले कम । अपने हाथ म अपने भाग संवारत हन हम ।। काही बात के कमी नईये मेहनत घला नईये कम, पथरा म पानी ओगरत जंगल घला संवारत हन हम । खेती के रकबा भले पहिली ले होगे हे कम, फेर आगू ले ज्यादा फसल उगावत हन हम ।। पढ़ईयांमन के कमी नइये गुरूजीमन घला नईये कम, हाथ ले हाथ जोरीके षिक्षा के दिया जलावत हन हम । करिया अक्षर भईस बरोबर कहइय अब होगे हे कम, आखर आखर जोड़ के पोथी पतरा बनावत हन हम ।। षहर बर सड़क के कमी नइये गांव बर रद्दा नईये कम, गांव ल घला शहर संग जोर के शहर बनावत हन हम । जंगल पहाड़ के रहईयामन के जिनगी म खुशी कहां हे कम, जंगल-झांड़ी पहाड़-खाई सबो मिलके गीत गांवत हन हम ।। हमर विकास म कमी नईये फेर जलनहा मन कहां हे कम, चारो कोती नक्सवाद के आगी तेमा जर भुंजावत हन हम । ऊखर मेर बंदूक गोली के कमी नईये बारूद घला नईये कम, जेनेला पावत हे मार गिरावत हे आंसू बहावत हन हम ।। ऊखर पाप मा कमी नइये पापीमन नई होवत हे कम, अपन ल हमर हितैशी बतावय अऊ बहकत हन हम । ताने बंदूक नगरा नाचत ये आतंक ह नई होवय कम, जब तक जुर मिलके दृढ़ इच्छा षक्ति नई जगाबो हम ।।
Kanwar Yatra: Cultural and Regional Variations Across India
-
1. Introduction The Kanwar Yatra is a significant Hindu pilgrimage that
takes place annually during the month of Saavan, dedicated to Lord Shiva.
Millions ...
1 दिन पहले