कहमुकरिया (कहमुकरिया एक छंद होथे, जेमा 16, 16 मात्रा के चार चरण होथे, ये एक अइसन विधा आय जेमा एक सहेली अपन प्रियतम के वर्णन करथे अउ अपन सखी ले पूछथे, जब ओखर सखी हा, उत्तर मा साजन कहिथे तो ओ हा मुकर जाथे अउ आने उत्तर बता देथे, ये विधा मा रचनाकार अउ पाठक के बीच एक जनउला हो जथे) 1. रहिथे दिन रात संग मोरे, गोठ बात मा राखे बोरे । संग ओखरे करथव स्माइल । का सखि ? साजन ! ना सखि मोबाइल ।। 2. मोर अकेल्ला के संगी हे, ज्ञान जेखरे सतरंगी हे । जेखर आघू मैं नतमस्तक । का सखि ? साजन ! ना सखि पुस्तक ।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक सनातनी भारत – मेरे दृष्टिकोण से– डॉ. अर्जुन दुबे
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हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों में 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का
उल्लेख मिलता है। हिन्दू श्रद्धालु पीढ़ियों से इन स्थलों के दर्शनार्थ जाते
रहे हैं,...
4 दिन पहले