1. अपन बाँह मा भरथंव जेला । जेन खुशी बड़ देथे मोला ।। मन हरियर तन लाली भूरी । का सखि ? भाटो ! नहि रे चूरी ।। 2. बिन ओखर जेवन नई चुरय । सांय-सांय घर कुरिया घुरय ।। जेन कहाथे घर के दूल्हा । का सखि ? भाटो ! नहि रे, चूल्हा ।। 3. दुनिया दारी जेन बताथे । रिगबिग ले आँखी देखाथे । जेखर आघू बइठवं ‘सीवी‘ का सखि ? भाटो ! नहि रे, टीवी ।।
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-2
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छ्त्तीसगढ़िया के धियान रखैया छत्तीसगढ़िया के धियान रखैया, किसान राज चलैया।
मोर छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता के,नवा सुरुज उगैया।। हमर बर तो एकर पहिली,
रिहिस रा...
2 हफ़्ते पहले