छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी नर ले भारी । जेन काम मा देखव संगी, लगे हवय गा नारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी नो हय अबला । देखाये हे अपने ताकत, नारी मन हा सब ला । छन्न पकइया छन्न पकइया, सेना मा हे नारी । बैरी मन के छाती फाड़े, मारत हे किलकारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, हवे कलेक्टर नारी । मास्टर डाँक्टर इंजिनियर अउ, हवे पुलिस पटवारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी के का कहना । हावे नेता अउ अधिकारी, अम्मा दीदी बहना । छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी बने व्यपारी । हर काउन्टर मा नोनी मन, गोठ करे हे भारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, लगे अचंभा भारी । घर के अपने बुता बिसारे, पढ़े-लिखे कुछ नारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, वाह रे मोटियारी । बना नई सके चाय कप भर, करे हे होशियारी । छन्न पकइया छन्न पकइया, अब के आन भरोसा । दाई पालनहारी रहिस ग, परसे कई परोसा ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, मनखे चिरई होगे । धरती के कुरिया ला छोड़े, गगन म जाके सोगे ।।
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-2
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छ्त्तीसगढ़िया के धियान रखैया छत्तीसगढ़िया के धियान रखैया, किसान राज चलैया।
मोर छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता के,नवा सुरुज उगैया।। हमर बर तो एकर पहिली,
रिहिस रा...
2 हफ़्ते पहले