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कतका झन देखे हें-

नारी नर ले भारी

छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी नर ले भारी । जेन काम मा देखव संगी, लगे हवय गा नारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी नो हय अबला । देखाये हे अपने ताकत, नारी मन हा सब ला । छन्न पकइया छन्न पकइया, सेना मा हे नारी । बैरी मन के छाती फाड़े, मारत हे किलकारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, हवे कलेक्टर नारी । मास्टर डाँक्टर इंजिनियर अउ, हवे पुलिस पटवारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी के का कहना । हावे नेता अउ अधिकारी, अम्मा दीदी बहना । छन्न पकइया छन्न पकइया, नारी बने व्यपारी । हर काउन्टर मा नोनी मन, गोठ करे हे भारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, लगे अचंभा भारी । घर के अपने बुता बिसारे, पढ़े-लिखे कुछ नारी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, वाह रे मोटियारी । बना नई सके चाय कप भर, करे हे होशियारी । छन्न पकइया छन्न पकइया, अब के आन भरोसा । दाई पालनहारी रहिस ग, परसे कई परोसा ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, मनखे चिरई होगे । धरती के कुरिया ला छोड़े, गगन म जाके सोगे ।।

आज हरेली हाबे

छन्न पकइया छन्न पकइया, आज हरेली हाबे । गउ माता ला लोंदी दे के, बइला धोये जाबे । छन्न पकइया छन्न पकइया, दतिया नांगर धोले । झउहा भर नदिया के कुधरी, अपने अॅगना बो ले ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, कुधरी मा रख नागर । चीला रोटी भोग लगा के, खा दू कौरा आगर ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, ये पारा वो पारा । राउत भइया हरियर हरियर, खोचे लिमवा डारा । छन्न पकइया छन्न पकइया, घर के ओ मोहाटी । लोहारे जब खीला ठोके, लागे ओखर साटी ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, केवट भइया आगे । मुड़ मा डारे मछरी जाली, लइका मन डररागे ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, नरियर फेके जाबो । खेल खेल मा जीते नरियर, गुड़ मा भेला खाबो ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, गेड़ी चर-चर बाजे । चढ़य मोटियारी गेड़ी जब, आवय ओला लाजे ।। छन्न पकइया छन्न पकइया, सबले पहिली आथे । परब हरेली हमरे गढ़ के, सब झन ला बड़ भाथे ।।

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