सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

नवा बछर

नवा बछर तिहार असन, बाॅटय खुशी हजार । ले लव ले लव तुम अपन, दूनों हाथ पसार ।। नवा नवा मा हे भरे, नवा खुशी के आश । छोड़ बात दुख के अपन, मन मा भर बिसवास ।। काली होगे काल के, ओखर बात बिसार । नवा बछर तिहार असन नवा बछर के आय ले, मिटही सब तकलीफ । जेन चोर बदमाश हे, बनही बने शरीफ । काम बुता जब हाथ मा, होही झारा झार । नवा बछर तिहार असन चमकत हे परकाश कस, नवा बछर हा घोर । अंधियार ला मेटही, धरे हवे अंजोर ।। मन मा धर बिसवास तै, अपने काम सवार । नवा बछर तिहार असन

पटक बैरी ला हटवारा मा

अमरबेल के नार बियार, कइसन छाये तोर डारा मा । अतका कइसे तैं निरबल होगे, नाचे ओखर इसारा मा । कुकरी  मछरी होके कइसे, फसगे ओखर चारा मा । दरूहा  कोडिहा  होके कइसे, अपन पगडी बेचे पै बारा मा । दूसर के हितवार्ती होके, भाई ला बिसारे बटवारा मा । तै मनखे हस के बइला भइसा, बंधे ओखर पछवारा मा । तै छत्तीसगढ़ीया बघवा के जाये, परे मत रह कोलिहा के पारा मा । जान पहिचान अपन आप ला, अपन मुॅह देख दरपण ढारा मा । ओखर ले तैं कमतर कहां हस, पटक बैरी ला हटवारा मा ।।

छोड़व छोड़व गौटिया

छोड़व छोड़व गौटिया, बेजाकब्जा धाक। गली खोर बन कोलकी, बस्ती राखे ढाक ।। काली के गाड़ी रवन, पयडगरी हे आज । कते करे ले आय अब, घर डेहरी सुराज ।। गाड़ी मोटर फटफटी, राखय कोने ताक । छोड़व छोड़व गौटिया चरिया परिया गांव के, नदिया नरवा झार । रोवत कहरत घात हे, बेजाकब्जा टार ।। कोन बचावय आज गा, तोर गांव के नाक । छोड़व छोड़व गौटिया चवरा राखे डेहरी, सोचे ना नुकसान । का तोरे ये मान हे, का तोरे ये शान ।। चक्कर दू आंगूर के, करे गांव ला खाक । छोड़व छोड़व गौटिया,

खनक खनक के हाथ मा

खनक खनक के हाथ मा, चूऱी बोले बोल । मोर मया के राज ला, जग मा देवय खोल ।। चूरी मोरे हाथ के, हवय तोर पहिचान । रूप सजाये मोर तो, देवय कतका मान ।। खनर खनर जब बोलथे, जियरा जाथे डोल  ।।खनक खनक के हाथ मा लाली हरियर अउ पियर, रंग रंग के रंग । सबो रंग मा तो दिखय,  केवल तोरे संग ।। तोर संग ला पाय के, हाथ बने बड़ बोल ।। खनक खनक के हाथ मा

छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता

"छत्तीसगढी मंच" फेसबु समूह मा छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता "छत्तीसगढ के पागा" के नाम ले चलत हवय । रचना प्रेमी संगी मन ये लिंक मा जाके ये समूह के सदस्य बन के पाठक या प्रतिभागी के रूप साहित्य के सेवा कर सकत हें ।   https://www.facebook.com/photo.php?fbid=523005337852382&set=gm.1005180262833929&type=3

महिना आगे पूस के

महिना आगे पूस के, दिन भर लागय जाड़ । हाथ-पाव हा कापथे,  जइसे डोले झाड़ ।। हू हू मुॅह हा तो करय, जइसे सिसरी बोल । परे जाड़ जब पूस के, मुक्का होजय ढोल ।। महिना आगे पूस के, लेही मोर परान । ना कदरी ना गोदरी, ना परछी रेगान ।। कांटा न झिटी गांव मा, दिखे न कोनो खार । कहय डहत ये पूस हा, अब तो भूरी बार । जानय ना धनवान हा, कइसे होथे पूस । कांपत हम बिन चेंदरा, ओ पहिरे हे ठूस ।।

छेरछेरा

आज छेरछेरा परब, दे कोठी के धान । अन्न दान ले ना बड़े, जग मा कोनो दान । जय हो दानी तोर ओ, करे खूब तैं दान । आज छेरछेरा परब, राखे ऐखर मान । दान करे मा धन बढ़य, जइसे बाढ़े धान । देवत हम आशीष हन, बने रहव धनवान ।। पायेंन बहुत दान हम, मालिक तोर दुवार । जीयव हजार साल तुम, आशीष लव हमार ।।

सरकारी स्कूल मा

हर सरकारी स्कूल मा, एक बात हे नेक । लइका मन कुछु करय, कोनो रखे न छेक ।। थारी लोटा ठोक के, लइका खेले खेल । गुरूजी गे हे सर्वे मा, होत कहां हे मेल ।। बाल देव भव हे लिखे, सबो स्कूल मा देख । भोग लगा पूजा करव, पथरा माथा टेक ।। पढ़ई लिखई छोड़ के, ले लव कुछु भी काम । गुरूजी हा ठलहा हवय, मास्टर ओखर नाम । बात करू हे लीम कस, कोनो दय ना ध्यान । नेता अउ सरकार हा, रखे कहां हे मान ।। हमरो गुरूजी मन घला, कहां सोचथे बात । लइका हा कइसे पढ़य, मेटय कइसे रात ।। तनखा अपन बढ़ाय बर, खूब करे हड़ताल । शिक्षा सुधरय सोच के, करे कभू पड़ताल ।।

मोर जवानी

घेरी घेरी ये ओढ़नी, कइसन सरकत जाय । कोन जनी का होय हे, मोला कुछु ना भाय ।। अपने तन हा गरू लगय, रेंगव जब मैं खोर । जेला देखव तेन हा, देखय आंखी फोर ।। सुन्ना होवय जब गली, रेंगब नई सुहाय । घेरी घेरी ये ओढ़नी सगली भतली खेल हा, लइका मन के खेल । पुतरा पुतरी संग अब, मन हा करे न मेल ।। संगी साथी छूट गे, नान्हे पन बिसराय । घेरी घेरी ये ओढ़नी हिरणी कस मन खोजथे, कूद कूद के घात । कइसन के ममहाय हे, आये समझ न बात ।। मोर जवानी आज तो, कस्तूरी बन आय । घेरी घेरी ये ओढ़नी

जब ले तोला पांय हव

जब ले तोला पांय हव, मया मरम जानेंव । जस जस बेरा हा बितय, अंतस मा लानेंव ।। काल परी कस तै रहे, आज घला हस हूर । दमक रहय तब चेहरा, आज घला हे नूर ।। हाड़ मास के का रखे, आत्मा ला जानेंव । जब ले तोला पांय हव सुख के संगी सब रहिन, दुख मा तैं अकेल । छोड़े जब संसार हा, तैं हर रखे सकेल ।। मया देह ले होय ना, आज बने जानेंव ।। जब ले तोला पांय हव एक दुसर बर हम हवन, जोर सांस के डोर । तोर जीनगी मोर हे, मोर जीनगी तोर । सातो फेरा के मरम, मैं हर पहिचानेंव । जब ले तोला पांय हव

गुरूवर घासी दास के

गुरूवर घासी दास के, अंतस धर संदेश । झूठ लबारी छोड़ के, सच सच बोल ‘रमेश‘ ।। सच सच बोल ‘रमेश‘, आच सच ला ना आये । मनखे मनखे एक, बात गुरू बबा बताये । जहर-महूरा दारू, जुवा चित्ती हे फासी । अइसन चक्कर छोड़, कहे हे गुरूवर घासी ।।

मुखिया

होथे जस दाई ददा, होवय मुखिया नेक । गांव  राज्य  या देश के, मुखिया मुखिया एक । मुखिया के हर काम के, एक लक्ष्य तो होय । रहय मातहत हा बने, कोनो झन तो रोय ।। काम बुता मुखिया करय, जइसे भइसा ढोय । अपने घर परिवार बर, सुख के बीजा बोय ।। घुरवा कस मुखिया बनय, सहय ओ सबो झेल । फेके डारे चीज के, करय कदर अउ मेल ।। सोच समझ मुखिया बनव, गांव होय के देश । मुखिया मुॅंह कस होत हे, जेन मेटथे क्लेश ।।

मुखिया

ये मुखिया के नाम मा, मुखिया के सब भाव । मुॅह होथे जस देह मा, मुखिया ओही ठांव ।। मुखिया ओही ठांव, जिहां तो सबो थिराये । कुकुर बिलइ अउ गाय, सबो ला एके भाये ।। सुन लव कहे ‘रमेश‘, रहय मत कोनो दुखिया । जर होथे जस पेड़, होय संगी ये मुखिया ।।

माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी

माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन भात-बासी, दूध-दही सब खाथे-पीथे मुॅह हा, सबो अंग मा एक बराबर, ताकत जगाथे मुॅह हा। देह मा मुॅह हा होथे जइसन.... देह मा मुॅह हा होथे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन डारा-पाना, फर-फूलवा सब रूखवा के हरिआये खातू-माटी, पानी-पल्लो, जब बने जर मा पाये रूखवा के जर हा होथे जइसन.... रूखवा के जर हा होथे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन बघवा-भालू, साप-नेवला पानी पिये एक घाट मा गरीब-गुरबा, गौटिया-बड़हर एक लगे हे राम राज मा राजा मा राम हा होय हे जइसन... राजा मा राम हा होय हे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन

आतंकी के धरम कहां होथे

मुक्तक बहर 222 212 1222 आतंकी के धरम कहां होथे । बहिया मन के करम कहां होथे ।। गोली मारव कुकर ल जब चाबय अइसन बेरा शरम कहां होथे ।। -रमेश चौहान

मनखे के बांटा

कांटा मा पांव परय के पांव मा परय कांटा चाहे तो डांट परय के गाल मा परय चांटा पथरा लोहा म करेजा के धधक कहां होथे पीरा अउ आंसु परय मनखे के रात दिन बांटा ।

अइसन शिक्षा नीति हे

अइसन शिक्षा नीति हे, नम्बर के सब खेल । नम्बर जादा लाय के, झेले लइका झेल ।। पढ़े लिखे ना ज्ञान बर, नम्बर के हे होड़ । अइसन सोच समाज के, बचपन लेवय तोड़ ।। पढ़े लिखे के बोझ मा, लदकाये हे जवान । पढ़े लिखे के नाम मा, कतका देवय जान ।। अव्वल आय के फेर मा, झेल सकय ना झेल । पढ़त पढ़त तो कई झन, करय मउत ले मेल ।। पढईया लइका सुनव, करहू मत तुम भूल । नम्बर  के ये फेर ला, देहूं झन तुम तूल ।।

दूसर के दरद मा रोना रोना होथे

आगी मा तिपे ले सोना सोना होथे । मन के सब मइल ला धोना धोना होथे । अपने के दरद मा जम्मा मनखे रोथे । दूसर के दरद मा रोना रोना होथे ।

अपन ददा के आज तै

तोरे सेती जेन हा, सहे रात दिन घाम । अपन ददा के आज तै, रखे डोकरा नाम । जर मा पानी छींच के, तोला झाड़ बनाय । पथरा मा मूरत असन, तोला जेन सजाय ।। आज ओखरे जीनगी, काबर हवे हराम । अपन ददा के आज तै... बर पीपर के छांव बन, देखे घर परिवार । खून छींच के आज तक, रखे जेन सम्हार । काम बुता ले ओखरे, सकला गे हे चाम ।। अपन ददा के आज तै... घूम घूम के खोज ले, ददे हे भगवान । ब्रम्हा कस ओ रचे, पाले बिष्णु समान ।। अइसन पालन हार के, कर सेवा के काम । अपन ददा के आज तै...

बैरी ला हम मारबो

फूॅक ले उड़ा जई अइसन धुररा नो हन । जाड़ मा जड़ा जई अइसन मुररा नो हन ।। हाथ मा कफन धरे बैरी ला हम मारबो । मौत ले डरा जई अइसन सुररा नो हन ।।

पढई ले का फायदा

पढई ले का फायदा, अउ का हे नुकसान । तउल तराजू देख ले, अनपढ अउ विद्वान ।। कुवर गोफरी कस कुवर, पढ़ के मनखे होय । आखर आखर बूॅद ले, अपन केरवछ धोय । विद्या ले आथे विनय, विनय बनाथे योग्य । योग्य बने धन आय हे, धन ले धरमी भोग्य । सही गलत के फैसला, करथे सोच विचार । दुनिया-दारी जान के, करथे सद् व्यवहार ।। शिक्षा के ये लक्ष्य हा, लगथे आज गवाय । पाये बर तो नौकरी, लोगन सबो पढ़ाय ।। जेला देखव तेन हा, कहय एक ठन बात । पढ़े लिखे मा काम के, मिलथे भल सौगात ।। काबर कोनो ना कहय, पाये बर संस्कार । नीत-रीत ला जान लय, लइका पढ़े हमार । पढ़े लिखे मनखे इहां, बिसराये संस्कार । अंग्रेजी के चोचला, चारो कोती झार । हिरदय मा धर हाथ तै, एक बार तो सोच । चलन घूस के देश मा, कइसे आये नोच । कोन अंगूठा छाप हा, काला दे हे घूस । पढ़े-लिखे बाबू मनन, पढ-लिख ले हे चूस । अपने दाई अउ ददा, करे निकाला कोन । पढ़े-लिखे ले पूछ ले, कइसे साधे मोन ।। खेत खार ला बेच के, जेला ददा पढ़ाय । साहब होके बेटवा, ओही ला भूलाय ।। पढ़े लिखे के चोचला, अपन रौब देखाय । पार्टी-सार्टी ओ करय, दारू-मंद बोहाय ।। पढ़े ल

धनी मया हा तोर

तन मन मा तो छाय हे, धनी मया हा तोर । मोर हाल ला देख के, मचे गांव मा शोर ।। महर महर करथे मया, चारो कोती छाय  । मोरे मन के हाल हा, छूपय नही छुपाय।। तोर मया बिन रात हे, होत नई हे भोर । तन मन मा ... आंखी खोजे रात दिन, चारो डहर निहार । मन फंसे आठो पहर, तोरे करत बिचार ।। निंद भूख लागय नही, आथे सपना घोर । तन मन मा ... ये दुनिया के बंधना, लागे हे जंजीर । तोर बिना बेकार हे, जिनगी मोरे हीर ।। तोर मया के छांव बर, रेंगव कोरे कोर । तन मन मा ...

दरुहा

का निरधन धनवान का, दारू पिये सब ठाठ । का कुरिया अउ का महल, का रद्दा अउ बाट ।। का सुख अउ दुख के बखत, का दिन अउ का रात । जेती पावव देख लव, बइठे चार जमात ।। दारु पिये ले आदमी, दरुहा नई कहाय । दारु पिये इंसान ला, तब दरुहा बन जाय ।। दरुहा होथे कुकुर अस, लहके जीभ लमाय । दारु पाय बर जेन हा, पूछी अपन हलाय ।। दारु पिये ओ कोलिहा, बघवा कस नरिआय । बघवा ले बधिया बनय, लद्दी मा धस जाय ।।

बिना काम के आदमी

लात परे जब पीठ मा, पीरा कमे जनाय । लात पेट मा जब परय, पीरा सहे न जाय ।। काम बुता ले हे बने, पूरा घर परिवार । काम छुटे मा हे लगे, अपने तन हा भार ।। लगे काम ला कोखरो, काबर तैं छोड़ाय । मारे बर तैं मार ले, अब कोने जीआय ।। काम बुता के नाम हा, जीवन इहां कहाय । बिना काम के आदमी, जीयत मा मर जाय ।।

अपन भाखा

बासी मा मही ला घोर के तो देख । रोटी ला दूध मा बोर के तो देख । पावन हो जाही ना कंठ हा तो तोरे, भाखा ला अपन तैं बोल के तो देख ।।

माटी हमरे गांव के...

माटी हमरे गांव के, महर महर ममहाय । चंदन ले आगर लगय, माथा देव चढ़ाय ।। दाई के कोरा असन, माटी हवय महान । अपन गांव के ये मया, मिलय न कहूं जहान उपजे बाढे हन जिहां, धुररा देह लगाय । माटी हमरे गांव के...... खेेले कूदे हन जिहां, आनी बानी खेल । संगी संगी हम रहन, करके सबले मेल ।। नरवा तरिया के मया, हमला रहय लुभाय ।। माटी हमरे गांव के...... चांव चांव चिरई करय, अपने पाखी खोल । हरियर हरियर खार मा, मनुवा नाचय डोल ।। अमराई बोइर झरी, अपने तीर बलाय।। माटी हमरे गांव के...... कहां मोर लइका हवय, कइसन ओखर हाल । कइसे ओ बिसराय हे, मोर हाल बेहाल ।। गांव तोर सुरता करय, आंखी आंसु ढराय । माटी हमरे गांव के...

गुटका के अइसन चलन

नवा जमाना के चलन, गुटखा पाउच देख। गली सड़क मा थूक ले, चित्र गढ़े अनलेख ।। चगल चगल के रात दिन, छेरी कस पगुराय । गुटका पाउच खाय के, गली खोर रंगाय ।। पथरा रंगे थूक ले,घसरे मा ना जाय । रंग करेजा मा भरे, अइसन गुटका भाय ।। पान सुपारी हे कहां, गुटका सबे लमाय । फेषन के ये फेर मा, सरहा सरहा खाय ।। का का के धुररा हवय, काला कोन बताय । गुटका के अइसन चलन, सबो बात बिसराय ।।

सहिष्णुता

सहिष्णुता काला कहिथे, पूछय लइका आज । कोन जनी गा बेटवा, आवत मोला लाज ।। प्रश्न उठे ना आज तक, का होगे अब बात । हीरो पिक्चर के कहे, समझ नई तो आत ।। टी.वी. भूकय रात दिन, काखर पइसा पाय । सहिष्णुता आय का, कोनो नई बताय ।। मोला लगथे ये हवे, जइसे हरही गाय । हरियर हरियर खेत मा, मनमाफिक तो जाय । मोर सोच मा बेटवा, सहिष्णुता हे सोच । सोच सोच ले सोच के, माथा कलगी खोच ।। सागर मा नदिया भरय, घर कुरिया मा गांव । सब ला तो एके लगय, बर पीपर के छांव ।। धरती पानी अउ हवा, सहिष्णुता के मूर्ति । जीव जीव हर जीव के, करथे इच्छा पूर्ति ।।

कचरा करे सवाल

काबर पैदा होय हॅव, कचरा करे सवाल । फेके डारे बर घला, माचे हवय बवाल ।। घर ले फेके अंगना, लगे अंगना खोर । खोर खोर मा हे लगे, कतका कुढ़वा मोर ।। जतर कतर तो घात हे, गांव शहर के हाल । काबर पैदा होय हॅव.... नाक कान ला मूंद के, जाथें मोला छोड़ । अइसन अइसन सोच के, कइसे होही तोड़ ।। कोन खास अउ आम हे, सबके एके हाल । काबर पैदा होय हॅव... आये फेषन हे नवा, नेता ले शुरूवात । जब तक चमकय केमरा, चमचा संग बरात ।। झउहा रापा ला धरे, चले अपन ओ चाल । काबर पैदा होय हॅव.... ऐमा का परहेज हे, होय मोर उद्धार । साफ सफाई हे करे, भले दिखावा झार ।। संग होय सबके कहूं, कर लव मोरो ख्याल । काबर पैदा होय हॅव......

मइल हाथ के होत हे

मइल हाथ के होत हे, तोर चुने सरकार । अपन आप ला देख ले, फेर बोल ललकार ।। देश राज हा तोर हे, खुद ला मालिक जान । लोकतंत्र के राज मा, चलय तोर फरमान ।। अपन आप ला भूल के, गे नेता दरबार । लालच मा मतदान के, भोग सजा सौ बार ।। प्रांतवाद के बात हा, छाये काबर देश । काम आय हे वोट बर, मिटे कहां हे क्लेश ।। तोर रीति संस्कार हा, हे गा तोरे हाथ । अपने ला बिसराय के, ठोकत हस अब माथ ।।

हे गुरूनानक देव के

हे गुरूनानक देव के, आज परब परकास । अपन हाथ ला जोर के, करत हवंव अरदास । ओ तलवंडी गांव मा, बन आये भगवान । दाई तृप्ता हा रहिस, ददा रहिस कल्याण । सुघ्घर पावन दिन रहिस,कातिक पुन्नी मास । हे गुरूनानक देव के... रहिस नानपन ले अलग, जगत मोह ले दूर । अपने मा खोये रहय, रहय अपन मा चूर ।। पंडित मौली ले घला, करय प्रष्न ओ खास । हे गुरूनानक देव के... गुरू नानक के काम मा, चमत्कार ला देख । जेने जानय तेन हा, लेवय माथा टेक ।। करे फेर उपदेष हे, देत अपन आभास । हे गुरूनानक देव के... गुरूनानक हा हे कहे, ढोंगी दुनिया देख । मनखे मनखे एक हे, देवता घला एक ।। सिक्ख पंथ के नेह ला, रचे हवय जनवास । हे गुरूनानक देव के...

हाइकू मोर देश के

जापानी विधा । हाइकू, तांका, चोका । देश मा छाये ।। कोन हे इहां छंद के पूछईया । कोन बताये । ये मोर देश मोर अपने आय घात सुहाये । देश के माटी पुराना परिपाटी आज नंदाये । नवा लहर मचाये हे कहर जुन्ना ला खाये । कोन देखे हे मौसम बदले मा आने धरती । कोनो पेेड मा नवा पत्ती के आये नवा जर हे । टुकना तोपे कोन डोकरा राखे काला ये भाते ।

खोजव खोजव चोर ला......

खोजव खोजव चोर ला, कोने मेर लुकाय । करके आघू आन ला, कइसे के भरमाय ।। दिखथे हमला मोहरा, हवय शकुनि के चाल । पै बारा ला देख के, होगे बारा हाल ।। काट मोहरा फेकथन, लेथे नवा बनाय । खोजव खोजव चोर ला...... कट्टरता के देह के, आतंकवाद नाम । जात धरम जानय नही, मारे ले हे काम ।। सोचे के तो बात हे, कट्टर कोन बनाय । खोजव खोजव चोर ला... जर मा पानी पाय के, बिरवा बनथे झाड़ । काटव जर ला खोज के, बाते लेवव ताड़ ।। मारव अइसन सोच ला, कट्टर जेन बनाय । खोजव खोजव चोर ला....

चार आंतकी के मारे ले

आल्‍हा छंद मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे आय । जीयत जागत रोबोट बने, आका के ओ हुकुम बजाय ।। मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय । जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।। ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय । काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।। चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय । लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।। रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय । पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।। हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय । खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय । चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय । जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।। कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव । नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।। -रमेश चौहान

राउत दोहा बर दोहा-

तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार  ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान

देवारी दोहा- देवारी के आड़ मा

दोहा चिट-पट  दूनों संग मा, सिक्का के दू छोर । देवारी के आड़ मा, दिखे जुआ के जोर ।। डर हे छुछवा होय के, मनखे तन ला पाय । लक्ष्मी ला परघाय के, पइसा हार गवाय ।। कोन नई हे बेवड़ा, जेती देख बिजार। सुख दुख ह बहाना हवय, रोज लगे बाजार ।। कहत सुनत तो हे सबो, माने कोने बात । सबो बात खुद जानथे, करय तभो खुद घात ।। -रमेश चौहान

अइसे दीया बार

अपने मन के कोनहा, अइसे दीया बार । रिगबिग रिगबिग तो दिखय, तोरे अवगुण झार ।। अपन कमी ला जान के, काही करव उपाय । बाचय मत एको अकन, मन मा तोरे समाय ।। देवारी दीया हाथ धर, अवगुण ला तैं मार । अपने मन के कोनहा... हमरे सुधरे मा जगत, सुधरय पक्का जान । छोड़ गरब गुमान अपन, छोड़ अपन अभिमान ।। अपन मया के बंधना, बांधव जी संसार ।। अपने मन के कोनहा... तोरे कस तो आन हे, सुघ्घर के इंसान । ना कोनो छोटे बड़े, ना कोनो हैवान ।। हवय भुले भटके भले, ओला तैं सम्हार । अपने मन के कोनहा... जाति पाति अउ पंथ के, कर देबो अब अंत । मनखे  हा मनखे रहय, मन से होबो संत ।। राम राज के कल्पना, करबो हम साकार । अपने मन के कोनहा...

जय जय हे धनवंतरी

जय जय हे धनवंतरी, दव हमला वरदान । स्वस्थ रहय तन मन हमर, स्वस्थ रहय सम्मान ।। धनतेरस के ये परब, आय जनम दिन तोर । हाथ जोड़ परनाम हे, विनती सुन ले मोर ।। भौतिकता के फेर मा, हम तोला बिसराय । जड़ी बुटी ला छोड़ के, धन के परब बनाय ।। हवय घोर गलती हमर, धरत हवन हम कान । आसो ले अब हर बरस, करबो तोरे मान ।। साफ सफाई राखबो, हम अपने घर द्वार । रखिहंव हमरे ध्यान तुम, होई मत बीमार ।।

दीया के दरद

माटी दीया हा कहय, काखर मेरा जांव । कोनो फटकय ना इहां, काला दरद बतांव ।   खाथें मोरे अन्न ला, सोथे मोरे छांव । मोरे कोरा छोड़ के, कहां करे हे ठांव ।। दीया बाती हा हवय, जस पानी मा मीन । रिगबिग ले बिजली बरे, फुटे फटाका चीन ।। पढ़े लिखे लइका इहां, बइठे आलू छील । काम करय ना चीन कस, देखत रहिथे झील ।। दर दर मांगय नौकरी, कागज ला देखाय । काम बुता जानय नही, कोने हुनर बताय ।। स्वाभिमान हा कति सुते, देश प्रेम बिसराय । माटी दीया बार लव, अपने मान जगाय ।।

देवारी

चिरई चिरगुन कस चहकय लइका । पाके आमा कस गमकय लइका । आगे    आगे      देवारी       आगे, कहि के बिजली कस दमकय लइका । खोर अंगना मा रंगोली पुरय लइका । ले सखी सहेली देखे बर जुरय लइका । रंग रंग के हे रंगोली सुघर अतका, देख फूल कस भवरा बन घुरय लइका ।। दीया म बाती ला बोरय लइका । बाती म आगी ला जोरय लइका ।। देवारी के अंजोरे बगरावय, देखव फटाका ला फोरय लइका । खोरे मा जब सिगबिग सिगबिग आगे लइका । चंदैनी कस रिगबिग रिगबिग छागे लइका । ऐती ओती चारो कोती कूदत नाचत, मुचमुच हासत सौंहे देवारी लागे लइका ।

दू ठन मुक्तक

1 गजल शेर के घला नियम होथे । लिखे बोले मा जिहां संयम होथे ।। रदिफ काफिया बिना जाने कतको गजलकार के इहां नजम होथे । 2 मन के पीरा हरय कोन । ठउरे ओखर भरय कोन ।। वो हर चलदिस जगत छोड़ । रहि के जींदा मरय कोन ।।

चुप हे ता सब कुछ बने

चुप हे ता सब कुछ बने, मुॅह खोलत बेकार । मनखे हिन्दूस्थान के, कबतक रहय गवार ।। सहत रहिन ता सब बने, जागे मा हे बेकार । का काठा अउ का पसर, मुठ्ठी बोलय झार ।। रहय दूध मा जल मिले, कहां हवय परहेज । पानी पानी दूध मा, दूध रहय निस्तेज ।। ओखर मैना पोसवा, बोलय ओखर गोठ । तोर खीर पातर हवय, ओखर नून ह पोठ ।। करिया कउॅंवा कोइली, दिखथे दूनो एक । बिन बोले गा ऊंखरे, काला कहि हम नेक ।।

आगे देवारी

आगे देवारी, हमर दुवारी, कर तइयारी, जोश भरे । जब सॉफ-सफाई, पाथे दाई, सॅउहे आथे, खुशी धरे ।। ये यचरा-कचरा, घुरवा डबरा, फेकव संगी, तुमन बने । घर-कुरिया पोतव, सुग्‍घर सोचव,  दाई आी, बने ठने।।

मँहगाई म देवारी कइसेे मनावँव

कहां कहां जावंव, कइसे लावंव, दीया बाती, तेल भरे । देख मँहगाई, कइसन भाई, जियरा छाती, मोर जरे ।। आसो देवारी, मोरे दुवारी, कइसे आही, सोच भरे । लइका का जानय, कइसे मानय, मँइगाई मा, ददा मरे ।।

तोर मया ला पाय के

नायक- अपने अचरा छोर मा, बांध मया के डोर। लहर लहर जब ये करय, धड़कन जागय मोर ।। नायिका- तोर मया के झूलना, झूलॅंव अंगना खोर । सपना आंखी हे बसे, देबे झन तैं टोर ।। नायक- फूल असन हाॅसी हवय, कोयल बानी गोठ । चंदा बानी मुॅह हवय, मया हवे बड़ पोठ ।। दरस परय बर तोर मैं, तांकव बने चकोर । अपने अचरा छोर मा... नायिका- तोर देह के छांव कस, रेंगॅंव संगे संग । छाय मया के जब घटा, दूनों एके रंग ।। मोरे तन मन मा चढ़े, रंग मया के तोर ।। सपना आंखी हे बसे... नायक- तोर मोर सपना हवय, जस नदिया अउ कोर । छोर बिना नदिया कहां, नदिया बिन ना छोर ।। नायिका लहर लहर अचरा करय, तोर बांह के छोर । तोर मया ला पाय के, होगे मोरे भोर ।।

छत्तीसगढ़ महतारी के गोहार

करय, छत्तीसगढ़ महतारी, आंसू छलकावत गोहार । मोरे लइका मन हा काबर, कइसन लगथव गा बीमार ।। जब्बर छाती तो तोर रहिस, सह लेत रहे घन के मार। घी दूध छकत ले पी-पी के, बासी चटनी खाये झार ।। ओगराय पथरा ले पानी, सुरूज संग तै करे दुलार । रहय कइसनो बोझा भारी, अलगावस जस नार बियार ।। करे कोखरो भले बिगारी, हाथ अपन ना कभू लमाय जांगर पेरे अपन पेट बर, फोकट मा कभू नई खाय । मोरे तो सेवा कर करके, नाचस कूदस मन बहलास । अइसन कोन बिपत आगे, काबर मोला नई बतास ।। मोर धरोहर काबर छोड़े, छोड़े काबर तैं पहिचान । बोरे बासी बट्टी रोटी, दार भात के संग अथान ।। तरिया नदिया पाटे काबर, पाटे काबर तैं खलिहान । हाथ धरे तैं घूमत रहिबे, आही कइसे नवा बिहान ।। काबर दिन भर छुमरत रहिथस, दारू मंद के चक्कर आय । काम बुता ला छोड़-छाड़ के, दूसर पाछू दूम हलाय ।। काल गांव के गौटिया रहे, गरीबहा काबर आज कहाय । तोर दुवारी मा लिखे हवे, दू रूपया के चाउर खाय । खेत खार तो ओतके हवय, फसल घला तै जादा पाय । काय लचारी अइसे आगे, गरीबहा के बांटा खाय ।। गरीबहा बेटा काबर तैं, धुररा माटी ला डरराय । मोरे कोरा खेले खाये, अब काबर

जबर गोहार लगाबो

अपने ला बिसराय, नशा मा जइसे माते । अपन गांव ला छोड़, शहर ला वो तो भाते ।। नषा ओखरे तोड़, चलव झकझोर जगाबो । बनय गांव हा नेक, जबर गोहार लगाबो ।। जागव संगी मोर, पहाती बेरा आगे । जाके थोकिन देख, खेत मा आगी लागे । हरहा हरही झार, खेत ले मार भगाबो । बाचय हमर धान, जबर गोहार लगाबो ।। दोसा इडली छोड़, फरा चैसेला खाबो । पाप सांग अब छोड़, ददरिया करमा गाबो ।। छत्तीसगढ़ीया आन, जगत ला हमन बताबो । अपन देखावत शान, जबर गोहार लगाबो ।।

मानय पति ला प्राण कस....

सती व्रती के देश मा, नारी हमर महान । मानय पति ला प्राण कस, अपने सरबस जान । भादो मा तीजा रहय, कातिक करवा चौथ । होय निरोगी पति हमर, जीत सकय ओ मौत ।। मया करेजा कस करय, बनय मया के खान । मानय पति ला प्राण कस.... ध्यान रखय हर बात के, अपने प्राण लगाय । छोटे बड़े काम मा, अपने हाथ बटाय । घर ला मंदिर ओ करय, गढ़े मया पकवान । मानय पति ला प्राण कस...... पढ़े लिखे के का अरथ, छोड़ दैइ संस्कार । रूढि़वादी सब मान के, टोर दैइ परिवार ।। श्रद्धा अउ विश्वास ले, मिले सबो अरमान । मानय पति ला प्राण कस....

दामाखेड़ा धाम मा...

दामाखेड़ा धाम मा, हे साहेब कबीर । ज्ञानी ध्यानी मन जिहां, बइठे बने फकीर ।। सद्गुरू के वरदान ले, पाये ब्यालिस वंश । पंथ हुजुर साहेब मा, हे सद्गुरू के अंश ।। सत्यनाम साहेब हा, तोड़य जग जंजीर । दामाखेड़ा धाम मा... जानव अपने रूप ला, परे देह ले ठाढ़ । सत्यनाम साहेब वो, बात बने तैं काढ़ ।। बात धरव सब ध्यान से, देह नही जागीर । दामाखेड़ा धाम मा... मीठा अउ मीठास ला, सरगुन निरगुन मान । कोने काखर ले अलग, ध्यान लगा के जान ।। मनखे के घट घट बसय, सत्यनाम बलबीर । दामाखेड़ा धाम मा..

पहिचान हे ये तो हमर

छत्तीसगढ़ दाई धरे, अचरा अपन संस्कार गा। मनखे इहां के हे दयालू, करथे मया सत्कार गा । दिखथे भले सब कंगला, धनवान दिल के झार गा । पहिचान हे ये तो हमर, रखना हवे सम्हार गा ।।

धनी अगोरा तोर हे

कइसे काटव मैं भला, अम्मावस के रात । आंखी बैरी हा कहय, कब होही परभात ।। कतका जुगनू चांदनी, चमकत करे उजास । कुलुप अंधियारी लगय, चंदा बिना अगास ।। सुरता के ओ धुंधरा, बादर बनके छाय । आंखी ले पानी झरे, सावन झड़ी लगाय ।। पैरी बाजय गोड़ के, गरज घुमर के घोर । चम चम बिजली कस करे, माथे बिंदी मोर ।। गरू लगय अपने बदन, गहना ले धंधाय । धनी अगोरा तोर हे, मोरे मन चिल्लाय ।। -रमेश चौहान

चलव जयंती मनाबो

चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के घर कुरिया लिप पोत के, खोर अंगना सजाबो जैतखाम मा सादा झंड़ा, फेरे नवा चढाबो अउ चैका हम कराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के सादा सादा ओढ़ना पहिरे, सादगी ला बगराबो छांझ मांदर हाथ धरे, गुरू के जस ला गाबो अउ पंथी नाच देखाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के गुरू संदेशा मन मा धरे, सत के अलख जगाबो सत के रद्दा रद्दा रेंग रेंग, सतलोक मा जाबो सतनाम धजा फहराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के ओ संगी गुरू घासी दास के

शिरड़ी के सांई कहय......

शिरड़ी के सांई कहय, सबके मालिक एक । जात धरम काहीं रहय, मनखे होवय नेक ।। सांई दीनानाथ हे, सच्चा संत फकीर । मनखे के सेवा करय, मेटे सबो लकीर ।। अइसन दीनानाथ के, करलव जी अभिशेक । शिरड़ी के सांई कहय...... मनखे के संतान हे, हिन्दू अउ इस्लाम । मनखे के अल्ला खुदा, मनखे के हे राम ।। काबर कोनो फेर तो, डगर खड़े हे छेक । शिरड़ी के सांई कहय.... मनखे के पीरा हरय, सबके सांई नाथ। भूख बिमारी मेट के, सबला करय सनाथ ।। मानव ओखर बात ला, अपने माथा टेक । शिरड़ी के सांई कहय....

शक्ति हमला दे अतका

हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। बैरी हे मन मोर, बइठ माथा भरमाथे । डगर झूठ के छांट, हाथ धर के रेंगाथे ।। अइसन करव उपाय, छूट जय ऐखर झटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। सत के रद्दा तोर, परे जस पटपर भुइया । कइसे रेंगंव एक, दिखे ना एको गुइया ।। परे असत के फेर, खात हन हम तो भटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। मन मंदिर मा तोर, एक मूरत दे अइसन । जिहां बसे हे झार, असत मन हा तो कइसन ।। मर जावय सब झूठ, पाय मूरत के रचका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।

गांव बसे हमरे दिल मा

गांव बसे हमरे दिल मा हम तो लइका अन एखर संगी । गांवन मा सबके ममता मिलथे कुछु बात म होय न तंगी ।। जोतत नागर खेत किसान धरे मुठिया कहिथे त तता जी । खार अऊ परिया बरदी म चरे गरूवा दिखथे बढि़या जी ।।

हर काम हा सरकार के

हर बात के गलती दिखे, जनतंत्र मा सरकार के । अधिकार ला सब जानथे,  अउ मांगथे ललकार के ।। कर्तव्य ला जनता कभू, अपने कहां कब मानथे । हर काम हा सरकार के, अइसे सबो झन जानथे ।। -रमेश चौहान

जय होय भारत देश के

जय होय भारत देश के, जनमे जिहां भगवान हे । धरती ह पावन हे जिहां, मनखे घलो ह महान हे ।। नदियां हवे कतका इहां, नरवा घला मन शान हे । पथरा  घला हमला लगे, जइसे बने भगवान हे ।

मनखे हमी मन आन गा

अपने सही समझे कभू, मनखे बने मनखे सही । अपने च मा कतका रमे, सबला भुलाय रखे तही ।। चिरई घलो करथे बने, अपने च खातिर काम गा । करले कुछु मनखे सही, मनखे हमी मन आन गा ।।

जय बोलव सतनाम के...

जय बोलव सतनाम के, जय जय जय सतनाम । जय हो घासीदास के, जय जय जय जतखाम ।। सतगुरू अउ सतनाम के, करथे जेने जाप । छूट जथे हर बात के, ओखर तो संताप ।। बाबा के सत मा बनय, बिगड़े तोरे काम । जय बोलव सतनाम के... जीवन मा भर सादगी, झूठ लबारी छोड । लोभ मोह के बंधना, तिनका जइसे तोड़ ।। बाबा के आदेश ला, धर के आठो याम । जय बोलव सतनाम के... केवल पूजा पाठ ले, होय नही उद़धार । सत के रद्दा रेंग के, अपने करम सुधार ।। एक करम तो सार हे, करत रहव सत काम । जय बोलव सतनाम के...

गज़लबानी-गहूँ संग कीरा रमजाजथे

गज़लबानी तुकबंदी गहूँ संग कीरा रमजाजथे  गहूँ संग कीरा रमजाजथे । दूध मा पानी बेचाजथे । संगत के अइसन असर नून मा मिरचा खवाजथे । रेंगत रेंगत नेता संग चम्मच हा नेता कहाजथे । बइठे बइठे जुवा मेरा खेत खार बेचाजथे । धनिया लेना कोन जरूरी छुये मा हाथ ममहाजथे । गुलाब फूल टोरत टोरत काटा मा हाथ छेदाजथे । मया कहूं होय निरमल दिल दिल मा समाजथे । बड़े संग मिले बिरोपान छोटे संग नाक कटाजथे । तैं जान तोर काम जाने गोठ गोठ मा गोठ आजथे ।

चल रावण ला मारबो.

चल रावण ला मारबो, खोज खोज के आज । बाच जथे हर साल ओ, आवत हमला लाज ।। पुतला मा होतीस ता, रावण बर जातीस । घेरी घेरी हर बरस, फेर नई आतीस ।। बइठे हे ओ हर कहां, अपन सजाये साज । चल रावण ला मारबो.... कहां कहां हम खोजबो, का ओखर पहिचान । कोन बताही गा भला, कहां छुपाये जान ।। दस मुड़ दस अवगुण हवय, हवय अलग अंदाज । चल रावण ला मारबो... मरे राम के बाण ले, पाय राम ले सीख । जीव जीव मा वास कर, कोनो ला झन दीख ।। तोर मोर घट मा बसे, करत हवे ओ राज । चल रावण ला मारबो... दिखय नही अंतस अपन, हम करि कोन उपाय । पुतला ला अउ मारबो, ओही हमला भाय ।। आवन दे गा हर बरस, बेच खाय हे लाज । चल रावण ला मारबो...

चोर चोर ओ चोर हे

चोर चोर ओ चोर हे, परत हवे गोहार । वाटसाप अउ फेसबुक, ओखर हवे शिकार ।। एक डाड लिख ना सकय, कवि कहाय के साध । पढ़े लिखे वो चोर हा, करत हवे अपराध ।। शारद के परसाद के, करे ओ तिरस्कार । चोर चोर ओ चोर हे... सब अइसन ओ चोर ला, देवव दंड कठोर । खडे रहय बजार मा, ओ हर दांत निपोर ।। संगत ओखर छोड़ दव, मुख ला दै ओ टार । चोर चोर ओ चोर हे.. अतको मा मानय नही, कोरट रद्दा भेज । आखर के दुश्मन हवय, कइसे करि परहेज ।। नो हय हासे के बुता, लेवव काम सवार । चोर चोर ओ चोर हे....

होगे मोरे जीनगी

होगे मोरे जीनगी, कइसन ऊंच पहाड़ । सकला गे सब मास हा, बाचे केवल हाड़ ।। हाथ गोड़ होगे सगा, मोला तो बिसराय । मोरे आंखी मोर ले, आंखी अब चोराय ।। मन बैरी मानय नहीं, खड़े हवे जस ताड़ । होगे मोरे जीनगी... कुरिया खटिया टूटहा, रचे मोर संसार । भड़वा बरतन फूटहा, करिया करिया झार ।। मोर रंग मा रंग के, होगे सबो कबाड़ । होगे मोरे जीनगी.... नवा नवा समान हवे, जुन्ना के का काम । डारे जेला कोनहा, बेटा बहू तमाम ।। दोष कहां कुछु कोखरो, करथे सबो जुगाड । होगे मोरे जीनगी.. आंखी आंखी घूमथे, जुन्ना दिन हा मोर । रूप रंग के मोर तो, होवय कतका शोर ।। मोला देखे काम मा, समा जवय जब जाड़ । होगे मोरे जीनगी.. -रमेश चौहान

दे दाई कुछु खाय

बेटा- बासी दे के भात दे, दे दाई कुछु खाय । सांय सांय जी हा करय, कुछु ना तो भाय ।। दाई-  दाना दाना खोज के, लेहूं भात बनाय । बेटा थोकिन सांस ले, बासी घला सिराय ।। बेटा- ठोमा ठोमा मांग के, ठोमा ना पाऐंव । गे रहेंव आंसू धरे, आंसू धर आऐंव ।। दाई- पानी हे आंसू हमर, पथरा हे भगवान । निरधन के तैं छोकरा, का तोरे हे मान ।। बेटा- भूख प्यास जानय नही, काबर अइसन बात । भर जातीस पेट हमर, दुच्छा देखत जात ।। दाई- गरीबहा बन पाप ला, भोगे भर आयेंन । भूख प्यास के मार ला, खूबे हम खायेंन ।। -रमेश चौहान

मैं विनय करंव कर जोर

मैं विनय करंव कर जोर ओ, मोर मरकी माता, जस गावंव तोर मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा संग मा सेवा बजावंव ओ, सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव फेर नरियर जस तन चढावंव ओ.... लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे जतन करव नोनी के संगी जतन करव रे मोर जतन करव रे ओ.. मोर जतन करव रे मैं नारी दुखयारी अंव नर नारी के जननी महतारी अंव महतारी अंव जतन करव रे...... पेट भीतर काबर कोनो नोनी बाबू जांचे नोनी नोनी ला मारे तैं बाबू बाबू हा बाचे तुहर करेजा बाबू के मैं हर सुवारी अंव जतन करव रे...... आधा दुनिया मोरो हे आधा अबादी कहाय पेट भीतर हमला मार के सृश्टि रचना डोलाय जगत रचना के मैं हर फूलवारी अंव जतन करव रे...... जनम दे के दुनिया मा मोला बेटा कस बढ़ावा दाई ददा के लाठी बनहू महूं ला खूब पढ़ावा ससुरे मइके मा सुख दुख के संगवारी अंव जतन करव रे......

दुनिया मा सतनाम कहाय

लहर लहर सादा झण्ड़ा हा, जैत खाम मा लहराय । हवे सत्य शाश्वत दुनिया मा, दे संदेशा जग बगराय ।। महानदी के पावन तट मा, गिरौदपुरी घाते सुहाय । जिहां बसे महंगु अमरौतिन, सुख मा जीवन अपन बिताय । सतरा सौ छप्पन के बेरा, अठ्ठारा दिसम्बरे भाय। निरधन महंगु के कुरिया मा, सत हा मनखे तन धर आय । चारो कोती मंगल होवय, लोगन मांदर ढोल बजाय । चिरई चिरगुन सब जंगल के, फूदक फूदक खुशी मनाय ।। लइका के मुॅह देख देख के, अपने सुध-बुध सब बिसरत जाय जेने देखय तेने जानय,  मुॅह मा कुछु बोली ना आय । अमरौतिन दाई के कोरा, बालक मंद मंद मुस्काय । ऐही लइका आघू चल के, गुरूजी घासी दास कहाय ।। सोनाखान तीर जंगल मा, घासी हा सत खोजय जाय । खोजत खोजत फेर एक दिन, छाता परवत ऊपर आय।। जिहां बबा बइठे जब आसन, घाते के समाधी लगाय । सत के संग मिले सत हा जब, सत सत सब एके हो जाय ।। सत के जयकारा फेर गुंजे, दुनिया मा सतनाम कहाय । मनखे मनखे सब एक कहे, सात बचन गुरू देत बताय । सत्य धरव सब अंतस भीतर, मारव मत कोनो जीव । मांस मटन खावव मत कोनो, जीव जीव हा होथे सीव ।। चोरी हारी ले दूर रहव, छोड़ जुआ चित्ती के खेल । नशा नाश क

सत्य नाम साहेब

 । कज्जल छंद । बोल सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब देख सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब । दोहा । चलव चलव गुरू के शरण, छोड़ अपन सब एब । एक बार जुरमिल कहव, सत्य नाम साहेब ।।  ।। चौपाई ।। सत के रद्दा, अगम गहिर हे । अगम गहिर हे.. चलय डगर, जेने फकीर हे ।। जेने फकीर हे... पटपर भुंइया, मन भरमावय । मन भरमावय साहेब मन भरमावय. गुरू बिन कोने, पार लगावय । पार लगावय साहेब पार लगावय. । दोहा । जीवन के सब भार ला, गुरू चरणे मा देब । हाथ जोड़ के बोलबो, सत्य नाम साहेब ।।  ।। चौपाई ।। तोर चरण मा, माथ नवाय हन । माथ नवाय हन. तोर दया ले, सब सुख पाये हन । सब सुख पाये हन. मनखे मनखे, एक बताये । एक बताये साहेब एक बताये. रंग खून के, एक दिखाये । एक दिखाये साहेब एक दिखाये । दोहा । घट घट मा भगवान हे, दरस परस कर लेब । कण-कण मा तैं देख ले, सत्य नाम साहेब ।। ।। चौपाई ।। पथ भटके ला, पथ देखाये । पथ देखाये.. जीव जीव ला, एक बताये । एक बताये ... सत के सादा, धजा बनाये । धजा बनाये साहेब धजा बनाये जैत खाम मा, तैं फहराये ।। तैं फहराये साहेब

माने मा पथरा घला

माने मा पथरा घला, बन जाथे भगवान । श्रद्धा अउ विश्वास बिन, ईश्वर हे पाषान ।। दाई के हर ठांव मा, बाजे मांदर ढोल । एक बार मां बोल ले, अपन करेजा खोल ।। मनखे मनखे एक हे, ईश्वर के सब पूत । ऊॅंच नीच मत मान तै, मान मत छुवा छूत ।। बिना गोड़ के रेंगथें, सुन लेथे बिन कान । काम करय बिन हाथ के, बोलय बिना जुबान ।। लकलक लकलक हे करत, परम दिव्य ओ रूप । खप्पर हे अंगार कस, जग जननी भव भूप ।। गाड़ा-गाड़ा जोहार हे, हे जग जननी तोर । तोरे दर मा आय हन, बिनती सुन ले मोर ।। नाश करे बर पाप के, मां काली बन आय । अइसन दाई देख के, लइका सब डरराय ।

जसगीत-दाई नवगढहीन

"अपन अभिव्यक्ति के सुघ्घर मंच"

गढ बिराजे हो मइया

"अपन अभिव्यक्ति के सुघ्घर मंच"

जसगीत

मां आदि शक्ति के नवरात पर्व के अवसर मा मोर रचित देवी गीत मन ला भाई प्रेम पटेल, बिलासपुर हा अपन स्वर मा ढाले हे, छत्तीसगढी के छंद के रचना ला शास्त्रीय गायन के प्रयास आप सब ला समर्पित हे https://drive.google.com/folderview?id=0B_vVk5gISWv3Rk9DNEFPdGtiUXM&usp=sharing

दुनिया मा तैं आय के, माया मा लपटाय

दुनिया मा तैं आय के, माया मा लपटाय । असल व्यपारी हे कहां, नकली के भरमार । कोनो पूछय ना असल, जग के खरीददार ।। असल खजाना छोड़ के, नकली ला तैं भाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... का राखे हे देह के, माटी चोला जान । जाना चोला छोड़ के, झन कर गरब गुमान ।। मोर मोर तैं तो कहे, अपने गाना गाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... कागज के डोंगा बनक, बने देह हा तोर । नदिया के मजधार मा, देही तोला बोर ।। माया रतिया सोय के, सपना मा हरशाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... परे विपत मा देख ले, आथे कोने काम ।। छोड़ जगत के आस ला, भज ले सीताराम । मनखे तन ला पाय के, बिरथा झन गंवाय ।। दुनिया मा तैं आय के.....

गढ़बो अपने देश

जुरमिल संगी चलव सब, गढ़बो अपने देश । मनखे हा मनखे रहय, कइसनो होवय वेश ।। देश भक्ति के राग मा, देवत अपने ताल । भारत माता एक हे, हम सब ओखर लाल ।। जाति धरम के रूंधना, टोर-टार के लेश । जुरमिल संगी चलव सब.... हर मंदिर के षंख हा, करय एक जयकार । मस्जिद के अजान घला, करय खूब गोहार । जय जय मइया भारती, जय जय भारत देश । जुरमिल संगी चलव सब.... भात मिलय हर पेट ला, सबो हाथ ला काम । निरधन अउ बनिहार ला, मिलय बरोबर दाम ।। मिलजुल रद्दा खोजबो, झन जावव परदेश । जुरमिल संगी चलव सब... षासन चारा छोड़ के, नेता फांदा टोर । हाथ हाथ सब जोर के, करत नवा अंजोर ।। अपने झगरा मेटबो,  मेटत सबो कलेश । जुरमिल संगी चलव सब

दाई, दाई शक्ति ओ

दाई दाई शक्ति ओ, भगतन करत पुकार । तोरे हमला आसरा, करव हमर उद्धार ।। चांदावन के पार मां, आदि शक्ति के ठांव । भक्त शक्ति दाई कहय, शीतल जेखर छांव ।। जेन दरद ला मेटथे, सुने भगत गोहार । दाई दाई शक्ति ओ.... हवय नवागढ़ खार अउ, मुरता गांवे बीच । महिमा ला बगराय के, भगतन लेवत खीच । लगे रेम हे भक्त के, धरे मनौती झार । दाई दाई शक्ति ओ..... जगमग जगमग जोत करय, जब आये नवरात । ढोलक मादर थाप ले, तोरे जस सब गात ।। नौ दिन अउ नव रात ले, करत तोर जयकार । दाई दाई शक्ति ओ.... दाई सुन के तोर जस, मांगे भगत मुराद । कोनो दौलत मांगते, कोनो मुख संवाद । कोनो मांगे नौकरी, कोनो लइका प्यार । दाई दाई शक्ति ओ... सबके पोछे आसु तैं, अपन गोद बइठाय । हॅसत गात तब तो भगत, अपने द्वारे जाय । जय हो दाई षक्ति के, करत सबो जयकार । दाई दाई शक्ति ओ...

कब लाबे बारात

नायक सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर । संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।। नायिका झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर । चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।। नायक गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर । चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर । नायिका गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह । झूला झूलत मैं कभू,  कहां पायेंव थाह ।। नायक कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर । भीतर  मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।   नायिका बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर । जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर । नायक छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ । जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।। नायिका हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात । आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।

अंखियन के बात हा

मोरे तैं मन मोहनी, आंखी पुतरी मोर। मोरे तैं दिल जोंगनी, मोरे तैं अंजोर ।। सुघ्घर सपना मोर तैं, आंखी काजर मोर । धड़कन दिल के तैं हवस, मोहन कस चित चोर ।। धरे करेजा हाथ मा, जोहत रद्दा तोर । धक धक मोरे दिल करय, सुन पैरी के शोर ।। छुईमुई बानी हवय, धनी चेहरा मोर । देखे के मन लालषा, तोपॅव अचरा छोर ।। लकड़ी मा आगी बरे, आगी जभे लगाय । जोत मया के हे जले, जब हम नजर मिलाय ।। अंखियन के बात हा, सिरतुन गजब सुहाय । नजर परे जब नजर ले, बैरी कोन हटाय ।। बैरी कोनो ना जगत, बैरी तहीं कहाय । लुका-लुका तैं देखथस, जियरा मोर जलाय ।। लोकलाज का जानबे, टूरा बन तैं आय । गहना मोरे लाज के, तोही ला तो भाय ।।

जय जय मइया जग कल्याणी

जय जय मइया आदि भवानी । जय जय मइया जग कल्याणी तोरे भगतन सेवा गावय । आनी बानी रूप सजावय सोलह सिंगार तोर माता । परम दिव्य हे जग विख्याता मनखे भगती अपन देखावय । सुघर रूप ला अउ सुघरावय पांव महुर दे पैजन बांधे । चुटकी बिछिया संगे सांधे कनिहा मा करधन पहिरावय। करधन घुंघरू बाज बजावय ककनी बहुटा हाथ सजाये । लाल चुरी संगे पहिराये लाली लुगरा अउ लाल चुनर । सुतिया पहिरावय माॅं के गर कानन कुण्डल नथली नाके । गाल इत्र चंदन ले ढाके मांघे मोती बिन्दी माथे । फूलन गजरा चुन्दी गाथे । सब सिंगार मा विष्वास भरे । भगतन श्रद्धा ले भेट करे मइया स्वीकार करव सेवा । भगती के दव हमला मेवा

लाल बहादुर लाल हे

लाल बहादुर लाल हे, हमर देष के शान । सीधा-सादा सादगी, जेखर हे पहिचान ।। सैनिक मन के हौसला, जेन बढ़ाये घात । भुईया के भगवान के, करे पोठ जे बात ।। दे नारा जय जवान अउ, जय हो हमर किसान । लाल बहादुर लाल हे.... निर्धनता ला जेन हा, माने ना अभिशाप । मुखिया होके देश के, छोड़े अपने छाप ।। राज धरम के जेन हा, करे खूब सम्मान । लाल बहादुर लाल हे.... खास आम सब ले कहे, मात्र एक संदेश । करव कर्तव्य सब अपन, आवय सबके देश ।। तुहर भरोसा देश हे, जेखर तुहीं मितान । लाल बहादुर लाल हे...

धर गांधी के बात ला

धर गांधी के बात ला, अपने अचरा छोर । सत्य अहिंसा के डहर, रेंगव कोरे कोर ।। दिखय चकाचक गांव हा, अइसे कर तैं काम । दूर करव सब गंदगी, होवय जउन तमाम ।। साफ सफाई होय ना, तन-मन के गा तोर । धर गांधी के बात ला.... मार काट ला छोड़ के, जोत शांति के बार । पर धन नारी देख के, कर झन अत्याचार ।। अपन आचरण कर सुघर, झन तैं दांत निपोर । धर गांधी के बात ला.... गलती दूसर के दिखय, भीतर देखे कोन । मन के दरपन हाथ मा, काबर बइठे मोन ।। सच हा सच होथे सदा, रखे जेन झकझोर । धर गांधी के बात ला... महावरी के पाठ हे, ईसु बढ़ाये मान । बाबा घासी दास हा, करे हवे फरमान ।। राम रहिम के देश मा, सच ईश्वर हे तोर । धर गांधी के बात ला.....

जय मां भवानी आदि माता

जय मां भवानी आदि माता, तैं जगत के रचइया । सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।। कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्‍ा ओ । तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्‍वास ओ । करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ । अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।। सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ । झोली खुश्‍ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।। गोहार सुन अपने भगत के, श्‍ोर मा चढ़ आय ओ । बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्‍ााय ओ ।। मारे धरा के सब दुष्‍ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ । राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।

कोन रचे जग सृष्टिन सुंदर

हे मइया महिमा तुहरे जग चार जुगे त्रिय काल समाये । वो तइहा अउ आज घला सब भक्त मिले तुहरे जस गाये । पार न पावय देवन सृष्टि म नेति कहे सब माथ नवाये । ये मनखे कइसे तुइरे जस फेर भला कुछु बात बताये ।। कोन रचे जग सृष्टिन सुंदर, लालन पालन कोन करे हे । कोन इहां उपजावय जीवन, काल धुरी भुज कोन धरे हे ।। जेखर ले उपजे विधि शंकर, जेन रमापति ला उपजाये । आदि अनंत न जेखर जानन, शक्ति उही हर काय कहाये ।। शैल सुता ह रचे जग सुंदर, लालन पालन गौरि करे हे । आदि उमा उपजावय जीवन, काल धुरी भुज कालि धरे हे ।। आदिच शक्ति ह तो विधि शंकर राम रमापति ला उपजाये । आदि अनंत पता नइ जेखर, शक्ति उही हर मातु कहाये ।। -रमेश चौहान मिश्रापारा, नवागढ जिला-बेमेतरा

हमला माता लेहु बचाय

जगमग जगमग जोत करत हे, मंदिर मंदिर देवी ठांव । जंगल भीतर पर्वत ऊपर, शहर-शहर अउ जम्मो गांव ।। माता के जयकारा गूंजे, जब छाये जग मा नवरात । धरती नाचे बादर झूमे, रूख राई घाते इतरात ।। लहर लहर जब करे जवारा, सबो देवता माथ नवात । परम शांति अउ सुख ला पावय, जेने ऐखर दरशन पात । अइसन बेरा भगत जान के, मइया के ते द्वारे जात । अपने मन के सबो मनौती, मइया ले सबो गोहरात।। नाना भगतन मइया के हे, नाना रूप अपन देखाय । धरे ढोल मादर कतको मन, दिव्य कथा तोरे तो गाय । बरन बरन के बाजा बाजे, बरन बरन के राग सुनाय ।। कोनो जिभिया बाना छेदे, कोनो छाती जोत मढ़ाय ।। कोनो सुन जस तोरे झूमे, सांटे मांगे हाथ लमाय । झूपत झूपत भगतन नाचे, सुध बुध ला अपने बिसराय ।। श्रद्धा अउ विश्वास धरे सब, मइया मइया करे पुकार । सबो मनौती सबके मइया, पूरा कर करदव उपकार ।। कोरा के हम तोरे लइका, तैं हमरे जग जननी माय । मानवता पथ छोड़ी झन हम, हमला माता लेहु बचाय ।।

माता रानी, दाई ओ

हे जग कल्याणी, आदि भवानी, माता रानी, दाई ओ । दुष्टन ला मारे, संतन तारे, भगत उबारे, दाई ओ। जुग जुग ले छाहित, हवस समाहित, श्रद्धा भगती -मा दाई ।। मां तोरे ममता, सब बर समता, जीव जंतु मा, हे छाई ।। आये नवराते, भगतन माते, दिन राते तो, सेवत हे । नौ दिन नौ रूपे, भगतन झूपे, साट हाथ मा, लेवत हे । जय जय मां काली, शेरावाली, खप्पर धारी, दाई ओ । तहीं दंतेश्वरी, बम्मलेश्वरी, चंद्रहासनी, अउ तहीं महा-माईओ । पहिली दच्छसुता, के शैलसुता, ब्रह्मचारणी, दूसर मा । तीसर चंद्रघण्टा, हे कूष्माण्डा, चउथा नामे, तो उर मा ।। पंचम स्कन्धमाता, भाग्य विधाता, कात्यानी तो, छठ दाई । कालरात्रि साते, गौरी आठे, नवम सिद्धदात्री, नौ दाई ।। तोरे दरवाजा, भगत समाजा, अपने माथा, फोरत हे । सब औती-जौती, धरे मनौती, अपने हाथे, जोरत हे ।। मन मा विश्वासा, होही आसा, अब तो पूरा, दाई ओ । ये ममता तोरे, जिनगी मोरे, कूंद-कूंद सुघ-राई ओ ।।

दाई नवगढ़हिन

दाई नवगढ़हिन हवय, माना तरिया पार । नाव महामाया हवय, महिमा हवय अपार ।। लाल बरन दाई हवय, जिभिया लाल लमाय । लाली चुनरी ओढ़ के, अपन दया बगराय ।। कहन डोकरी दाई हमन, करके मया दुलार । दाई नवगढ़हिन हवय .. दाई मयारू घात हे, पुरखा हमर बताय । सबो भगत के दुख दरद, सुनते जेन मिटाय ।। राज पहर ले हे बसे, किल्ला पुछा कछार । दाई नवगढ़हिन हवय... मंदिर तरिया घाट हा, बनते बनते जाय । फेर बिराजे दाई इहां, आसन एक जमाय ।। ददा बबा ले आज तक, करत हमर उद्धार । दाई नवगढ़हिन हवय....

पितर पाख

पितर पाख मा देवता, पुरखा बन आय । कोनो दाई अउ ददा, कोनो बबा कहाय ।। श्रद्धा अउ विश्वास मा, होवय नही सवाल । अपन अपन आस्था हवय, काबर करे बवाल ।। हरियर हरियर पेड़ मा, पानी नई पिलोय । मरे झाड़ मा तैं अभे, हउला भरे रिकोय ।। बारे न दिया रात मा, दिन म करे अंजोर । बइहा पूरा देख के, तउरे ल सिखे घोर ।। अपने पहिली प्यार ला, भूलय ना संसार । तोरे दाई के मया, आवय पहिली प्यार ।। रंग रंग के हे मया, एक रंग झन देख । सात रंग अउ सात सुर, दुनिया रखे समेख ।। नारी के नारी मनन, समझे कहां सुभाव । सास बहु मन गोठ मा, कर डारे हे घाव ।। दाई के ओ बेटवा, बाई के सिंदूर । जेन रंग ला वो धरे, रंगे हाथ जरूर ।। नारी ले परिवार हे, नारी ले घर-द्वार । चाहे ओ हर जोर लय, चाहे रखय उजार ।। सास ससुर दाई ददा, बनके करे दुलार । बहू घला बेटी असन, करय उन्हला प्यार ।। बने रहय विश्वास हा, आस्था रहय सजोर । श्रद्धा के ये श्राद्ध हा, दया करय पुरजोर ।। -रमेश चौहान

मोर छत्तीसगढी के पहिलि परकासित पुस्तक-"सुरता"

मोर छत्तीसगढी के पहिलि परकासित पुस्तक, विमोचन दिनांक 21 फरवरी 2015, छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के तीसर प्रान्तीय सम्मेलन, बिलासपुर मा विमोचित ये पता मा जाके पढ सकत हंव https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3YkhvYjdPTWJHZms/view?usp=sharing / https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3YkhvYjdPTWJHZms/view?usp=sharing

जय हो मइया शारदे

जय हो मइया शारदे, पांव पखारॅंव तोर । तोरे दर मा आंय हॅंव, बिनती सुन ले मोर । बइठे सादा हंस मा, करे सेत सिंगार । सादा लुगरा तोर हे, सादा गहना झार ।। सादा के ये सादगी, ममता के हे डोर । तोरे दर मा आंय हॅंव. एक हाथ वीणा हवय, दूसर वेद पुराण । वीणा के झंकार हा, डारे जग मा जान ।। वेद ज्ञान परकाश हा, करत हवे अंजोर। तोरे दर मा आंय हॅंव. ज्ञान समुंदर तैं हवस, अविरल अगम अथाह । कोनो ज्ञानी हे कहां, पावय जेने थाह ।। तोर दया ला पाय बर, बिनय करत कर जोर । तोरे दर मा आंय हॅंव.

चरण पखारॅंव तोर प्रभु

चरण पखारॅंव तोर प्रभु, श्रद्धा भेट चढाय । तोरे मूरत ला अपन, हिरदय रखॅव मढाय ।। हाथी जइसे मुॅह हवय, सूपा जइसे कान । हउला जइसे पेट हे, लइका के भगवान ।। तोरे अइसन रूप हा, तोर भगत ला भाय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु.... सहज सरल तो तैं हवस, सब ला देत अषीश । लइका मन तोला अपन, संगी कर डारीष ।। लाये तोरे मूरती, घर-घर मा पघराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु... जम्मो बाधा मेटथस, पाय भगत गोहार । कारज के षुरूवात मा, करथन तोर पुकार ।। विघ्न हरन तब तो जगत, तोरे नाम धराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु..... ...©-रमेश चौहान

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज । गाड़ा गाड़ा नेवता, तोला हे महराज ।। भादो के महिना हवय, अउ अंजोरी पाख । तोर जनम दिन के बखत, दया मया ले ताख ।। तोरे जस हम गात हन, सुन ले प्रभु आवाज । आजा मोरे अंगना... तीन लोक चउदा भुवन, करे ज्ञान परकास । तही बुद्वि दाता हवस, हवे जगत ला आस । विघ्न हरण मंगल करण, कर दे पूरा काज । आजा मोरे अंगना... नान नान लइका हमन, तोर चरण मा जाय । करबो पूजा आरती, मोदक भोग लगाय ।। मूरख अज्ञानी हवन, रख दे हमरे लाज । आजा मोरे अंगना... गली गली हर गांव मा, तोरे हे जयकार । मूषक वाहन साज के, सजा अपन दरबार ।। अपन भगत के मान रख, होवय तोरे नाज । आजा मोरे अंगना...

अब तो बांटा तोर हे

शान रहिस जे काल के, रहिस हमर पहिचान । नंदावत वो चीज मा, कइसे डारी जान ।। कतको बरजे डोकरा, माने नही जवान । जुन्ना डारा छोड़ के, टूटथे नवा पान ।। गोठ नवा जुन्ना चलय, जइसे के दिन रात । अपन अपन हा पोठ हे, जेखर सुन ले बात ।। दुनिया के बदलाव ला, आँखी खोल निटोर । ओही चंदा अउ सुरूज, ओही धरती तोर ।। अपन रीति रिवाज धरे, पुरखा आय हमार । अब तो बांटा तोर हे, ऐला तैं सम्हार ।।

नोनी के दाई अभी

नोनी के दाई अभी, गे हे मइके गाॅंव । मोरे बारा हाल हे, कोने हाल बताॅंव ।। तीजा पोरा नेंग हा, अलहन लागे झार । चूल्हा चउका के बुता, देथे मोला मार ।। भड़वा बरतन मांज के, अपन आंसू बोहाॅव । नोनी के दाई अभी... कभू भात गिल्ला बनय, कभू जरय गा माढ़ । साग बनय ना तो कभू, झोरे लगय असाढ़ ।। अपने मन ला मार के, अदर-कचर मैं खाॅंव । नोनी के दाई अभी... बड़ सुन्ना घर-बार हे, चाबे भिथिया आज । अपने घर आने लागे, कहत आत हे लाज ।। सांय-सांय अंतस करय, मन ला कहां लगांव । नोनी के दाई अभी... कहूं होतीस मोर गा, कोनो बहिनी एक । तीजा हा मोला तभे, लागतीस गा नेक ।। बिन बहिनी के ये दरद, काला आज बताॅंव । नोनी के दाई अभी...

डहत हवे गा बेंदरा

डहत हवे गा बेंदरा, कूद कूद अतलंग । खपरा परवा छानही, दिखत हवय बदरंग ।। तरई आंजन छानही, खपरा गे सब फूट । लड़त हवे गा हूड़का, एक दूसर म टूट ।। मोठ डाठ हे ओ दिखत, कतका दिखत मतंग । डहत हवे गा बेंदरा... बारी बखरी मैदान हे, खेले जिहां घुलंड । दरबर दरबर आय के, बने हवें बरबंड ।। देखव ईंखर काम हा, लगत हवे बड़बंग । डहत हवे गा बेंदरा... (बरबंड-पहलवान, बडबंग-बेढंगा) थक गे सब रखवार हा, इहां बेंदरा भगात । चारे दिन के चांदनी, फेर कुलूपे रात ।। सोचय कुछु सरकार हा, कइसे बदलय ढंग । डहत हवे गा बेंदरा... जंगल झाड़ी काट के, मनखे करे कमाल । रहय कहां अब बेंदरा, अइसन हे जब हाल ।। छाती मा ओ कूद के, लड़त हवे ना जंग । डहत हवे गा बेंदरा...

तीजा पोरा आत हे

तीजा पोरा आत हे, आही नोनी मोर । घर अंगना हा नाचही, नाचही गली खोर ।। लइकापन मा खेल के, सगली भतली खेल । पुतरा पुतरी जोर के, करे रहिस ओ मेल ।। ओखर दीया चूकिया, राखे हंव मैं जोर । तीजा पोरा आत हे.... जुन्ना जुन्ना फ्राक अउ, ओखर पेन किताब । धरे संदूक हेर के, बइठे करंव हिसाब ।। आगू पाछू ओ करय, धर धोती के छोर । तीजा पोरा आत हे.... नार करेला बाढ़ के, होथे जस छतनार । कोरा के बेटी घलो, चल देथे ससुरार ।। होय करेजा हा सगा, कहे करेजा मोर । तीजा पोरा आत हे.... दुनिया के ये रीत मा, बंधे हे संसार । नाचत गावत तो रहंय, लइका सबो हमार ।। परब परब मा आय के, तृष्णा ला दैं टोर । तीजा पोरा आत हे....

बादर बैरी तैं कहां

बादर बैरी तैं कहां, मुॅह ला अपन लुकाय । कइसे तैं आसों भला, भादों मा तड़पाय ।। काबर तैं गुसिआय हस, आज कनेखी देख । उमड़-घुमड़ तैं आय के, रूके नही पल एक ।। भादों के ये भोमरा, बने जेठ भरमाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... धनहा के छाती फटे, मुड़ धर रोय किसान । नरवा मन पटपर हवय,  अटके अधर म जान ।। पानी के हर बूंद हा, तोरे कोख समाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... काबर बिट्टोवत हवस, पर तो जही दुकाल । काबर हमरे संग मा, खेले छू-छूवाल ।। तोर रिसाये ले जगत, हमला कोन बचाय । बादर बैरी तैं कहां..... सुन ले अब गोहार ला, गुस्सा अपनेे छोड़ । माफी मांगत हन हमन, अपन हाथ ला जोड़ ।। रद्-रद् पानी अब बरस, जड़-जीवन हरसाय । बादर बैरी तैं कहां.....

मोर दूसर ब्लॉग