जोगी रा सा रा रा जोगी रा सा रा रा पइसा पूजा पाठ कहाथे, पइसा हा भगवान । पइसा हरियर-हरियर चारा, चरत हवय इंसान ।।जोगी रा सा रा रा पइसा ले डौकी लइका हे, पइसा ले परिवार । पइसे ले दुनिया हे तोरे, पइसा बिन बेकार ।।जोगी रा सा रा रा मइल हाथ के पइसा होथे, कहि-कहि मरय सियान । बात समझ ना पाइस लइका, मारत रहिगे शान ।।जोगी रा सा रा रा कान-बुता मा घोर पसीना, पइसा आही हाथ । करे करम के पूजा-पाठे, मिलय भाग्य के साथ ।।जोगी रा सा रा रा फोकट मा सरकार बांटथे, अपन करे बर नाम । लूट छूट के रीत छोड़ दे, हमला चाही काम ।।जोगी रा सा रा रा
डुमन लाल ध्रुव की दो कवितायें
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जनजातीय गौरव पहाड़ की छाया मेंएक आदमी खड़ा हैउसके पैरों में जूते नहींपर
जमीन उसे पहचानती है।वह जंगल से बात करता हैबिना भाषा बदलेपेड़ उसकी चुप्पी को
समझते ह...
10 घंटे पहले