जोगी रा सा रा रा जोगी रा सा रा रा पइसा पूजा पाठ कहाथे, पइसा हा भगवान । पइसा हरियर-हरियर चारा, चरत हवय इंसान ।।जोगी रा सा रा रा पइसा ले डौकी लइका हे, पइसा ले परिवार । पइसे ले दुनिया हे तोरे, पइसा बिन बेकार ।।जोगी रा सा रा रा मइल हाथ के पइसा होथे, कहि-कहि मरय सियान । बात समझ ना पाइस लइका, मारत रहिगे शान ।।जोगी रा सा रा रा कान-बुता मा घोर पसीना, पइसा आही हाथ । करे करम के पूजा-पाठे, मिलय भाग्य के साथ ।।जोगी रा सा रा रा फोकट मा सरकार बांटथे, अपन करे बर नाम । लूट छूट के रीत छोड़ दे, हमला चाही काम ।।जोगी रा सा रा रा
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
11 घंटे पहले