ये गाँव ए भल ठाँव ए, इंसानियत पलथे जिहां। हर राग मा अउ गीत मा, स्वर प्रेम के मिलथे इहां ।। हे आदमी बर आदमी, धर हाथ ला सब संग मा । मनखे जियत तो हे जिहां, मिलके धरा के रंग मा । संतोष के अउ धैर्य के, ये पाठशाला आय गा । मन शांति के तन कांति के, रुखवा जिहां लहराय गा ।। पइसा भले ना हाथ मा, जिनगी तभो धनवान हे । खेती किसानी के बुते, हर आदमी भगवान हे ।।
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
13 घंटे पहले