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कतका झन देखे हें-

ये गाँव ए

ये गाँव ए भल ठाँव ए,  इंसानियत पलथे जिहां। हर राग मा अउ गीत मा, स्वर प्रेम के मिलथे इहां  ।। हे आदमी बर आदमी, धर हाथ ला सब संग मा । मनखे जियत तो हे जिहां, मिलके धरा के रंग मा । संतोष के अउ धैर्य के, ये पाठशाला  आय गा । मन शांति के तन कांति के, रुखवा जिहां लहराय गा ।। पइसा भले ना हाथ मा, जिनगी तभो धनवान हे । खेती किसानी के बुते, हर आदमी भगवान हे ।।

ढल देश के हर ढंग मा

चल संग मा चल संग मा, ढल देश के हर ढंग मा । धरती जिहां जननी हवे, सुख बांटथे हर रंग मा ।। मनका सबो गर माल के, सब एक हो धर के मया । मनखे सही मनखे सबो, कर लौ बने मनखे दया ।। भटके कहां घर छोड़ के, धर बात ला तैं आन के । सपना गढ़े हस नाश के, बड़ शत्रु हमला मान के ।। हम संग मा हर पाँव मा, मिल रेंगबो हर हाल मा । घर वापसी कर ले अभी, अब रेंग ले भल चाल मा ।। अकड़े कहूं अब थोरको, सुन कान तैं अब खोल के । बचबे नहीं जग घूम के, अब शत्रु कस कुछु बोल के ।। कुशियार कस हम फाकबो, हसिया धरे अब हाथ मा । कांदी लुये कस बूचबो, अउ लेसबो अब साथ मा ।।

अपने डहर मा रेंग तैं

अपने डहर मा रेंग तैं, काटा खुटी ला टार के । कोशिश करे के काम हे, मन के अलाली मार के ।। जाही कहां मंजिल ह गा, तोरे डगर ला छोड़ के । तैं रेंग भर अपने डगर, काया म मन ला जोड़ के ।।

पहिचान हे ये तो हमर

छत्तीसगढ़ दाई धरे, अचरा अपन संस्कार गा। मनखे इहां के हे दयालू, करथे मया सत्कार गा । दिखथे भले सब कंगला, धनवान दिल के झार गा । पहिचान हे ये तो हमर, रखना हवे सम्हार गा ।।

हर काम हा सरकार के

हर बात के गलती दिखे, जनतंत्र मा सरकार के । अधिकार ला सब जानथे,  अउ मांगथे ललकार के ।। कर्तव्य ला जनता कभू, अपने कहां कब मानथे । हर काम हा सरकार के, अइसे सबो झन जानथे ।। -रमेश चौहान

जय होय भारत देश के

जय होय भारत देश के, जनमे जिहां भगवान हे । धरती ह पावन हे जिहां, मनखे घलो ह महान हे ।। नदियां हवे कतका इहां, नरवा घला मन शान हे । पथरा  घला हमला लगे, जइसे बने भगवान हे ।

मनखे हमी मन आन गा

अपने सही समझे कभू, मनखे बने मनखे सही । अपने च मा कतका रमे, सबला भुलाय रखे तही ।। चिरई घलो करथे बने, अपने च खातिर काम गा । करले कुछु मनखे सही, मनखे हमी मन आन गा ।।

जय मां भवानी आदि माता

जय मां भवानी आदि माता, तैं जगत के रचइया । सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।। कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्‍ा ओ । तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्‍वास ओ । करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ । अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।। सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ । झोली खुश्‍ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।। गोहार सुन अपने भगत के, श्‍ोर मा चढ़ आय ओ । बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्‍ााय ओ ।। मारे धरा के सब दुष्‍ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ । राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।

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