अरे जवानी भटकत काबर, रद्दा छोड़ । परे नशा पानी के चक्कर, मुँह ला मोड़ ।। धरती के सेवा करना हे, होय सपूत । प्यार-व्यार के चक्कर पर के, हवस कपूत ।।
पानी के दांत जामे हे चाब दिही मोला वो
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ये वो दाई सुन तो बताथंव एक ठिन गोठ वोभोभली पानी के घलो जाम गेहे दांत वोते ह
असनांदे बर झन कहिबे मोलापानी के दांत जामे हे चाब दिही मोला वो..हु हु हु हु
करत ...
1 दिन पहले