अरे जवानी भटकत काबर, रद्दा छोड़ । परे नशा पानी के चक्कर, मुँह ला मोड़ ।। धरती के सेवा करना हे, होय सपूत । प्यार-व्यार के चक्कर पर के, हवस कपूत ।।
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
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मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
3 हफ़्ते पहले