काबर डारे मोर ऊपर, गलगल ले सोना पानी नवा जमाना के चलन ताम-झाम ला सब भाथें गुण-अवगुण देखय नही रंग-रूप मा मोहाथें मैं डालडा गरीब के संगी गढ़थव अपन कहानी चारदीवारी के फइका दिन ब दिन टूटत हे लइका बच्चा मा भूलाये दाई-ददा छूटत हे मैं अढ़हा-गोढ़हा लइका दाई के करेजाचानी संस्कृति अउ संस्कार बर कोनो ना कोनो प्रश्न खड़े हे अपन गांव के चलन मिटाये बर देशी अंग्रेज के फौज खड़े हे मैं मंगल पाण्डेय लक्ष्मीबाई के जुबानी
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
दुनिया...
16 घंटे पहले