जचकी ले मरनी, लाख योजना, हे यार । फोकट-सस्ता मा, बाँटत तो हे, सरकार ।। ढिठ होगे तब ले, हमर गरीबी, के बात । सुरसा के मुँह कस, बाढ़त हावे, दिन रात ।। गाँव-गाँव घर-घर, दिखे कंगला, भरमार । कागज के घोड़ा, भागत दउड़त, हे झार ।। दोषी जनता हे, या दोषी हे, सरकार । दूनो मा ता हे, स्वाभिमान के, दरकार ।।
जनसंवेदना और हौसले का कवि – भगवती लाल सेन-डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती ने अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी लेखनी से
जनमानस को न सिर्फ स्वर दिया बल्कि उनके संघर्षों को भी साहित्य के पन्नों पर
अमर ...
18 घंटे पहले