दुई ढंग ले, होथे जग मा, काम-बुता । हाथ-गोड़ ले, अउ माथा ले, मिले कुता ।। माथा चलथे, बइठे-बइठे, जेभ भरे । हाथ-गोड़ हा, देह-पान ला, स्वस्थ करे ।। दूनों मिल के, मनखे ला तो, पोठ करे । काया बनही, माया मिलही, गोड़ धरे । बइठइया मन, जांगर पेरव, एक घड़ी । जांगर वाले, धरव बुद्वि ला, जोड़ कड़ी ।।
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
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2 हफ़्ते पहले