तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार ।   लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।।       गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ ।     लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।।     गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ ।   चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।।      गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार ।   रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार  ।।      मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल ।   रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान        
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
1 दिन पहले
