तोर मोर हे एके जात, दूनों हन मनखे प्राणी । नेक सोच ला अंतस राख, करबो गा हमन सियानी ।। तोर मोर ले बड़का देश, राखब हम एला एके । नो हन कोनो बड़का छोट, बुरा सोच देथन फेके ।। अगड़ी-पिछड़ी कइसन जात, अउ ये दलित आदिवासी । बांट रखे हमरे सरकार, इही काम हे बदमासी ।। वोट बैंक पर राखे छांट, नेता के ये शैतानी । एक रही हम मनखे जात, छोड़-छाड़ अब नादानी ।। -रमेश चौहान
एक लघु आलेख:अब युद्ध क्यों होते हैं? – डॉ. अर्जुन दूबे
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त्रेता युग में रचा गया राम-रावण युद्ध भारतीय इतिहास की उस पहली महान कथा का
रूप ले चुका है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच की रेखा स्पष्ट खींच दी…
1 हफ़्ते पहले