म या करले (सुगती छंद) मया करले । मन म भरले तोर हॅव मैं । मोर हस तैं तोर हॅसना । मोर फॅसना मोर हॅसना । तोर फॅसना करे बइहा । मया दइहा अलग रहिबे । दुख ल सहिबे संग रहिबो । सब ल सहिबो हमन तनके । रहब मनके आव अॅगना । पहिर कॅंगना नाम धरके । मांघ भरके -रमेश चौहान
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
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मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
4 हफ़्ते पहले