सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

घनाक्षरी लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

चल देवारी मनाबो मया प्रीत घाेेर के

घनाक्षरी लिपे-पोते घर-द्वार, झांड़े-पोछे अंगना चुक-चुक ले दिखय, रंगोली खोर के । नवा-नवा जिंस-पेंट, नवा लइका पहिरे, उज्‍जर दिखे जइसे,  सूरुज ए भोर के ।। रिगबिग-रिगबिग, खोर-गली घर-द्वार रिगबिग दीया-बाती, सुरुज अंजोर के । मन भीतर अपन,  तैं ह संगी अब तो, रिगबिग दीया बार, मया प्रीत घाेेर के  ।।

गावत हे फाग रे (घनाक्षरी छंद)

 गावत हे फाग रे (घनाक्षरी छंद) आमा मउराये जब, बउराये परसा हा,  भवरा हा मंडरा के, गावत हे फाग रे । झुमर-झुमर झूमे, चुमे गहुदे डारा ल, महर-महर करे, फूल के पराग रे ।। तन ला गुदगुदाये, अउ लुभाये मन ला  हिरदय म जागे हे, प्रीत अनुराग रे । ओ चिरई-चिरगुन, रूख-राई संग मिल, छेड़े हावे गुरतुर, मादर के राग रे ।। -रमेश चौहान

शिव-शिव शिव अस (डमरू घनाक्षरी)

डमरू घनाक्षरी (32 वर्ण लघु) सुनत-गुनत चुप, सहत-रहत गुप दुख मन न छुवत, दुखित रहय तन । बम-बम हर-हर, शिव चरण गहत, शिव-शिव शिव अस, जग दुख भर मन ।। समय-समय गुन, परख-परख रख भगत जुगल कर, शिव पद रख तन । हरियर-हरियर, ठउर-ठउर सब हरियर-हरियर, दिखय सबन मन ।। -रमेश चैहान

सस्‍ता ल नहीं अपन ल देख

सस्ता मा समान बेच, लालच देखावत हे, हम बिसावत हन के, हमला बिसावत हे  । धरे हन मोबाइल,  चाइना हम हाथ मा, ओही मोबाइल बीच,  चीन डेरूवावत  हे । बात-बात मा चाइना, हर काम मा चाइना सस्‍ता के ये चक्‍कर ह, चक्‍कर बनावत हे । सस्‍ता के ये चक्‍कर म, अपनेे ला झन बेच अपनो ल देख संगी, तोला ओ बिगाड़त हे ।

छोटे परिवार

चित्र गुगल से साभार छोटे परिवार हवे, सुख के आधार संगी, जेन नहीं  तेन कहे,, मनखे के बाढ़ हे । जनसंख्या बाढ़े झन, नोनी-बाबू होवे कम छोटे परिवार के तो,  येही बात सार हे ।। घर-दुवार टोर के,  ददा-दाई ला छोड़  के,  नवा-नवा सोच धरे, रचे ओ संसार  हे । फेर टूटे परिवार, केवल दू-दुवा चार कइसे के कही येही, छोटे परिवार हे ।। -रमेश चौहान

मोर दूसर ब्लॉग