कुची हथौड़ा के किस्सा । मनखे मन के हे हिस्सा हथौड़ा ह ताकत जोरय । कुचर-कुचर तारा टोरय । अतकी जड़ कुची ह रहिथे । मया म तारा ले कहिथे मया मोर अंतस धर ले । अपने कोरा मा भर ले जब तारा-चाबी मिलथे । मया म तारा हा खुलथे एक ह जोड़े ला जानय । दूसर टोरे मा मानय लहर-लहर झाड़ी डोले । जब आंधी हा मुँह खोले रूखवा ठाड़े गिर परथे । अकड़न-जकड़न हा मरथे
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
दुनिया...
2 दिन पहले