//अपन बोली मा बोलव// (शुभग दंडक छंद) मन अपन तैं खोल, कुछु फेर बोल, कुछु रहय झन पोल, निक लगय गा गोठ । खुद अपन ला भाख, खुद लाज ला राख, सब डहर ला ताक, सब करय गा पोठ । गढ अपन के बात, जस अपन बर भात, भर पेट सब खात, कर तुहूँ गा रोठ । गढ़ हमर छत्तीस, तब बोल मत बीस, मन डार मत टीस, अब बनव गा मोठ ।। -रमेश चौहान
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
-
There is no excerpt because this is a protected post.
1 हफ़्ते पहले