सखी छंद (14 मात्रा के चार चरण दो पद पदांत 122) जुन्ना नोट बंद होगे । नवा नोट बर सब भोगे खड़े हवय बेंक दुवारी । जोहत सबो अपन बारी हाथे मा नोट कहां हे । हमरे मन खोट कहां हे बड़का नोट बंद होगे । छोटे नोट चंद होगे कोनो हा दै न उधारी । मैं बोलव नहीं लबारी नान-मून काम परे हे । साँय-साँय जेब करे हे जतका हवय नोट जाली । हो जाही गा सब खाली ओखर कुबड़ टूटही गा । करिया मरकी फूटही गा कहूँ-कहूँ नोट बरे हे । कहूँ-कहूँ नोट सरे हे कोनो फेकत कचरा मा । कोनो गाड़े डबरा मा आतंकी के धन कौड़ी । कामा लेही अब लौड़ी रोवय सब चोर उचक्का । परे हवय अइसन धक्का मान देश के करबो गा । अपने इज्जत गढ़बो गा पीरा ला हम सहिबो गा । भारत माता कहिबो गा
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार
बस जाए न फ...
13 घंटे पहले