काम चाही काम चाही, काम चाही काम । काम बिन बेकार हन हम, देह हे बस नाम ।। वाह रे सरकार तैं हा, तोर कइसन काम । काम छोड़े बांट सबकुछ, फोकटे के नाम ।। -रमेश चौहान
व्यंग्य:कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे-विनोद नायक
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॥ कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे ॥ झगड़ा हो तो उसकी जड़ भी हो वरना
बिना जड़ के झगड़े ऐसे होते जैसे बिना मतलब के कुत्ते के मुँह में डण्डी
चलाना। जब डण्...
2 दिन पहले