मनखे के सुभाव मोर तोर तोर मोर पोर पोर हे घुरे मोर तोर तोर मोर के सुभाव हा चुरे लोभ मोह लोक लाज छोड़ तान अड़े खोर खोर के गली गली ल छेक तैं खड़े
व्यंग्य:कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे-विनोद नायक
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॥ कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे ॥ झगड़ा हो तो उसकी जड़ भी हो वरना
बिना जड़ के झगड़े ऐसे होते जैसे बिना मतलब के कुत्ते के मुँह में डण्डी
चलाना। जब डण्...
2 दिन पहले