अमृतध्वनि-कुण्डलियां कतका दुकला हे परे, दुल्हा मन के आज । पढ़े लिखे बाबू खिरत, आवत मोला लाज ।। आवत मोला, लाज बहुत हे, आज बतावत । दस नोनी मा, एके बाबू, पढ़ इतरावत ।। बाबू मन हा, पढ़...
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
-
There is no excerpt because this is a protected post.
6 दिन पहले