नीति के दोहा करना धरना कुछ नहीं, काँव-काँव चिल्लाय । खिंचे दूसर के पाँव ला, हक भर अपन जताय ।। अपन काम सहि काम नहीं, नाम जेखरे कर्म । छोड़ बात अधिकार के, काम करब हे धर्म ।। कहां कोन छोटे बड़े, सबके अपने मान । अपन हाथ के काम बिन, फोकट हे सब ज्ञान ।। जीये बर तैं काम कर, कामे बर मत जीय । पइसा ले तो हे बडे, अपन मया अउ हीय ।। ए हक अउ अधिकार मा, कोन बड़े हे देख । जान बचावब मारना, अइसन बात सरेख ।। -रमेश चौहान
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम
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प्रयागराज, जिसे त्रिवेणी संगम के लिए जाना जाता है, इस वर्ष महाकुंभ के पावन
अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं, साधु-संतों और पर्यटकों का स्वागत कर रहा है।
महाकुंभ क...
2 हफ़्ते पहले