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कतका झन देखे हें-

जवानी के जड़काला

जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम । बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।। मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी । उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के  पागी ।। सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्‍चर के माला । मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।

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