चित्र गुगल से सौजन्य एक अकेला आए जग मा, एक अकेला जाबे । जइसे करनी तइसे भरनी, अपन करम गति पाबे ।। माटी होही तोरे चोला, माटी मा मिल जाबे । नाम करम के जिंदा रहिही, जब तैं काम कमाबे ।। चरदिनिया ये संगी साथी, बने बने मा भाथे । चारा मनभर चरय बोकरा, फेर कहां मिमियाथे ।। हाथ-गोड़ के लरे-परे मा, संगी कोन कहाथे । अपन देह हा अपने ऊपर, पथरा असन जनाथे ।। कोन जनी गा काखर मेरा,, भरे हवय कोरोना । संगी साथी ला देखे मा तो, परही तोला रोना ।। भीड़-भाड़ ले दूरिया रही के, अपना हाथ ला धोना । रोग बड़े है दुनिया बोलय, मत तैं समझ खिलौना ।। -रमेश चौहान
Kanwar Yatra: Cultural and Regional Variations Across India
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1. Introduction The Kanwar Yatra is a significant Hindu pilgrimage that
takes place annually during the month of Saavan, dedicated to Lord Shiva.
Millions ...
1 दिन पहले