दाई हमर आय । जेखर हमन जाय छत्तीसगढ़ मोर । देखव सब निटोर हे जंगल पहाड़ । कइसन कइसन झाड़ नदिया नहर धार । धनहा अउ कछार काजर असन कोल । काहेक अनमोल हीरा धर खदान । बइठे हन नदान माटी म धनवान। छत्तीसगढ़ जान लूटे बर ग आय । रूप अपन बनाय झोला अपन खांध । आये रहिन बांध आके ग परदेष । ओमन करत एष मालिक असन होय । मही हमर बिलोय घी ला कहय मोर । बाकी बचत तोर बासी महिर खाय । हमन रहन भुलाय उन्खर गजब षोर । हमला रखय टोर मोर सुनव पुकार । एक रहव न यार रख अपन पहिचान । मान अपन परान जब रहब हम एक । लगबो सुघर नेक करबो अपन राज । बैरी मन ल मार
व्यंग्य:कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे-विनोद नायक
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॥ कायेको झगड़ा भैया,करो सबसे प्रीत रे ॥ झगड़ा हो तो उसकी जड़ भी हो वरना
बिना जड़ के झगड़े ऐसे होते जैसे बिना मतलब के कुत्ते के मुँह में डण्डी
चलाना। जब डण्...
1 दिन पहले