झेल घाम बरसात ला, चमड़ी होगे पोठ । नाती ले कहिथे बबा, मान सियानी गोठ ।। चमक दमक ला देख के, बाबू झन तैं मात । चमक दमक धोखा हवय, मानव मोरे बात ।। मान अपन संस्कार ला, मान अपन परिवार । झूठ लबारी छोड़ के, अपने अंतस झार ।। मनखे अउ भगवान के, हवय एक ठन रीत । सबला तैं हर मोह ले, देके अपन पिरीत ।। बाबू मोरे बात मा, देबे तैं हर ध्यान । सोच समझ के हे कहत, तोरे अपन सियान ।। कहि दे छाती तान के, हम तोरे ले पोठ । चाहे कतको होय रे, कठिनाई हा रोठ ।।
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
दुनिया...
4 दिन पहले