सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दुर्मिल छंद लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

करम बडे जग मा

करम बडे जग मा (दुर्मिल छंद) करम बड़े जग मा, हर पग-पग मा, अपन करम गति ला पाबे । कोने का करही, पेटे भरही, जभे हाथ धर के खाबे ।। काबर तैं बइठे, अइठे-अइठे, काम-बुता सब ला चाही । फोकट मा मांगे, जांगर टांगे, ता कोने हम ला भाही ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान यहां भी देख सकत हव

मोर दूसर ब्लॉग

  • भरत बुलन्दी की कविताएँ - भाई और खाई दीवारों पर तस्वीरों में भाई है।दिल में लेकिन लंबी गहरी खाई है।। बँटवारे में हमने सब कुछ बाँट लिया ।आखिर किसके हिस्से बूढ़ी माईं है।। उसकी नैया…
    1 दिन पहले
  • अटल बिहारी वाजपेई - अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा, कारज आया हाथ ।...
    1 वर्ष पहले
  • पूर्वोत्तर भारत का महत्व - पूर्वोत्तर भारत देश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। यह आठ राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा से बना है। ...
    2 वर्ष पहले
  • परिवार का अस्तित्व - परिवार का अस्तित्व हम बाल्यकाल से पढ़ते आ रहे हैं की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और समाज का न्यूनतम इकाई परिवार है । जब हम यह कहते हैं कि मनुष्य ...
    5 वर्ष पहले
  • चार बेटा राम के कौडी के ना काम के - चार बेटा राम के कौडी के ना काम के छोइहा नरवा के दूनों कोती दू ठन पारा नरवरगढ़ के । बुड़ती म जुन्ना पारा अउ उत्ती मा नवा पारा । जुन्नापारा मा गाँव के जुन...
    10 वर्ष पहले