करम बडे जग मा (दुर्मिल छंद) करम बड़े जग मा, हर पग-पग मा, अपन करम गति ला पाबे । कोने का करही, पेटे भरही, जभे हाथ धर के खाबे ।। काबर तैं बइठे, अइठे-अइठे, काम-बुता सब ला चाही । फोकट मा मांगे, जांगर टांगे, ता कोने हम ला भाही ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान यहां भी देख सकत हव
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले