करम बडे जग मा (दुर्मिल छंद) करम बड़े जग मा, हर पग-पग मा, अपन करम गति ला पाबे । कोने का करही, पेटे भरही, जभे हाथ धर के खाबे ।। काबर तैं बइठे, अइठे-अइठे, काम-बुता सब ला चाही । फोकट मा मांगे, जांगर टांगे, ता कोने हम ला भाही ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान यहां भी देख सकत हव
जनसंवेदना और हौसले का कवि – भगवती लाल सेन-डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती ने अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी लेखनी से
जनमानस को न सिर्फ स्वर दिया बल्कि उनके संघर्षों को भी साहित्य के पन्नों पर
अमर ...
18 घंटे पहले