1. दुनिया ला बनाये तैं, कहाये भगवान गा । दुनिया ला चलाये तैं, मनखे बदनाम गा ।। 2. पत्ता डोलय ना एको, मरजी बिन तोर तो । अपन मन के धुर्रा, उड़ावय न थोरको ।। 3. तहीं हवस काया के, सब मा एक प्राण गा । तहीं हवस माया के, अकेल्ला सुजान गा ।। 4. सबकुछ ह तो तोरे, हमर एक तो तहीं । तैं पतंग के डोरी, हम पतंग के सहीं ।। 5. सब मा तोर माया हे, तोला जउन भात हे । कहां हमर ये बेरा, कुछु अवकात हे ।। 6. मनखे मनखे माने, मनखे मनखे सबो । मनखेपन के देदे, प्रभु तैं वरदान गो ।।
जनसंवेदना और हौसले का कवि – भगवती लाल सेन-डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती ने अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी लेखनी से
जनमानस को न सिर्फ स्वर दिया बल्कि उनके संघर्षों को भी साहित्य के पन्नों पर
अमर ...
18 घंटे पहले