सस्ता मा समान बेच, लालच देखावत हे, हम बिसावत हन के, हमला बिसावत हे । धरे हन मोबाइल, चाइना हम हाथ मा, ओही मोबाइल बीच, चीन डेरूवावत हे । बात-बात मा चाइना, हर काम मा चाइना सस्ता के ये चक्कर ह, चक्कर बनावत हे । सस्ता के ये चक्कर म, अपनेे ला झन बेच अपनो ल देख संगी, तोला ओ बिगाड़त हे ।
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
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मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
2 हफ़्ते पहले