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कतका झन देखे हें-

राउत नाचा बर दोहा

 अव्यवस्था के खिलाफ बियंग भरे सरसी छंद                                                                         चित्र गुगल से साभार दू पइसा मा मँहगा होगे, गउ माता हा आज रे । कुकरी-कुकरा संग बोकरा, करत हवय अब राज रे। बइला के पूछारी नइ हे, भइसा ला झन पूछ रे । आनी बानी के मषीन मा, अब देखावय सूझ रे ।। सरकारी जमीन खाली हे, जाके ओला छेक रे । आज नहीं ता काली तोला, पट्टा मिलही नेक रे ।। कोला-बारी खेत बना ले, नदिया नरवा पाट रे। घर कुरिया अउ महल बना ले,  छेकत रद्दा बाट रे।। सरकार नगत के डर्राथे,  तोर हाथ मा वोट रे । मन भर ऊदा-बादी करले, कोने देही चोट रे ।। मनभर करजा कर ले तैं हा,  होबे करही छूट रे । नेता भर मन काबर खावय, तहूँ ह मिलके लूट रे ।। बने मजा हे गरीबहा के, बन के तहूँ ह देख रे । आनी-बानी हवय फायदा, नेतागिरी सरेख रे ।। आँखी रहिके बन ज अंधरा, भैरा बन धर कान रे । कागज भर तो चाही तोला, मिलय नौकरी जान रे ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

थोकिन जाके देख

चित्र गुगल से साभार सरसी छंद दू पइसा मा मँहगा होगे, गउ माता हा आज । कुकरी-कुकरा संग बोकरा, करत हवय अब राज । कुण्डलियाँ घुरवा अउ कोठार बर, परिया राखँय छेक । अब घर बनगे हे इहाँ, थोकिन जाके देख ।। थोकिन जाके देख, खेत होगे चरिया-परिया । बचे कहाँ हे गाँव, बने अस एको तरिया ।। ना कोठा ना गाय, दूध ना एको चुरवा । पैरा बारय खेत, गाय ला फेकय घुरवा ।। -रमेश चौहान

अंग्रेजी के जरूरत कतका

अंग्रेजी के जरूरत कतका, थोकिन करव विचार । भाषा चाही के माध्यम गा, का हे येखर सार ।। मानत जानत हे दुनिया हा, अपने भाषा नेक । दूसर भाषा बाधा जइसे,  रद्दा राखे छेक ।। हर विचार हा अपने भाषा, होथे बड़का पोठ । अपन सोच हा दूसर भाषा, लगथे अड़बड़ रोठ ।। अपने भाषा के माध्यम मा, पढ़ई-लिखई  नेक । मूल सोच ला दूसर भाषा, राखे रहिथे छेक ।। दुनिया के भाषा अंग्रेजी, आथे बहुथे काम । भाषा जइसे येला सीखव, पावव जग मा नाम ।। अंग्रेजी माध्यम के चक्कर, हमला करे गुलाम । अपने भाषा अउ विचार मा, काबर कसे लगाम ।।

पइसा (जोगी रा-सा-ररा-रा)

जोगी रा सा रा रा जोगी रा सा रा रा पइसा पूजा पाठ कहाथे, पइसा हा भगवान । पइसा हरियर-हरियर चारा, चरत हवय इंसान ।।जोगी रा सा रा रा पइसा ले डौकी लइका हे, पइसा ले परिवार । पइसे ले दुनिया हे तोरे, पइसा बिन बेकार ।।जोगी रा सा रा रा मइल हाथ के पइसा होथे, कहि-कहि मरय सियान । बात समझ ना पाइस लइका, मारत रहिगे शान ।।जोगी रा सा रा रा कान-बुता मा घोर पसीना, पइसा आही हाथ । करे करम के पूजा-पाठे, मिलय भाग्य के साथ ।।जोगी रा सा रा रा फोकट मा सरकार बांटथे, अपन करे बर नाम । लूट छूट के रीत छोड़ दे, हमला चाही काम ।।जोगी रा सा रा रा

अइसे कोनो रद्दा खोजव, जुरमिल रेंगी साथ

मोटर गाड़ी के आए ले, घोड़ा दिखय न एक । मनखे केवल अपन बाढ़ ला, समझत हावे नेक ।। जोते-फांदे अब टेक्टर मा, नांगर गे नंदाय । बइला-भइसा कोन पोसही, काला गाय ह भाय ।। खातू-माटी अतका डारे, चिरई मन नंदात । खेत-खार मा महुरा डारे, अपने करे अघात ।। आघू हमला बढ़ना हावे, केवल धरे मशीन । मन मा अइसन सोच रहे ले, धरती जाही छीन ।। जीव एक दूसर के साथी, रचे हवय भगवान । मनखे एखर संरक्षक हे, सबले बड़े महान ।। बड़े मनन घुरवा होथे, कहिथे मनखे जात । झेल झपेटा जेने सहिथे, मांगय नही भात ।। अइसे कोनो रद्दा खोजव, जुरमिल रेंगी साथ । जीव पोसवा घर के बाचय, धर के हमरे हाथ ।।

पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान

नदिया छेके नरवा छेके, छेके हस गउठान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। डहर गली अउ परिया छेके, छेके सड़क कछार । कुँवा बावली तरिया पाटे, पाटे नरवा पार ।। ऊँचा-ऊँचा महल बना के, मारत हवस शान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। रूखवा काटे जंगल काटे, काटे हवस पहाड़ । अपन सुवारथ सब काम करे, धरती करे कबाड़ ।। बारी-बखरी धनहा बेचे, खोले हवस दुकान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।। गिट्टी पथरा अँगना रोपे, रोपे हस टाइल्स । धरती के पानी ला रोके, मारत हस स्टाइल्स ।। बोर खने हस बड़का-बड़का, पाबो कहिके मान । पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।

मोर सपना के भारत

मोरे सपना के भारत मा, हर हाथ म हे काम । जाति-धर्म के बंधन तोड़े, मनखे एक समान ।। लूट-छूट के रीति नई हे, सब बर एके दाम । नेता होवय के मतदाता, होवय लक्ष्मण राम ।। प्रांत-प्रांत के सीमा बोली, खिचय न एको डाड़ । नदिया जस सागर मिलय, करय न चिटुक बिगाड़ ।। भले करय सत्ता के निंदा, छूट रहय हर हाल । फेर देश ला गारी देवय, निछब ओखरे खाल ।। जेन देश के चिंता छोड़े, अपने करय विचार । मांगय झन अइसन मनखे, अपन मूल अधिकार ।। न्याय तंत्र होय सरल सीधा, मेटे हर जंजाल । लूटय झन कोनो निर्धन के, खून पसीना माल ।। लोकतंत्र के परिभाषा ला, सिरतुन करबो पोठ । वोट होय आधा ले जादा, तभे करय ओ गोठ ।। संविधान के आत्मा जागय, रहय धर्म निरपेक्ष । आंगा भारू रहय न कोनो, टूटय सब सापेक्ष ।। मौला पंड़ित मानय मत अब, नेता अउ सरकार । धरम-करम होवय केवल, जनता के अधिकार । देश प्रेम धर्म बड़े सबले, सब बर जरूरी होय । देश धर्म ला जे ना मानय, देश निकाला होय ।।

जोगीरा सारा रारा

मउरे आमा ममहावय जब, नशा म झूमय साँझ । फाग गीत मा बाजा बाजे, ढोल नगाड़ा झाँझ ।। जोगीरा सारा रारा .. जोगीरा सारा रारा .. सपटे सपटे नोनी देखय, मचलत हावे बाबू । कइसे गाल गुलाल मलवं मैं, दिल हावे बेकाबू । जोगीरा सारा रारा .. जोगीरा सारा रारा .. दाई ल बबा हा कहत हवय, डारत-डारत रंग । जिनगी मोर पहावत जावय, तोर मया के संग ।। जोगीरा सारा रारा .. जोगीरा सारा रारा .. भइया-भौजी खेलत होरी, डारत रंग गुलाल । नंनद देखत सोचत हावय, कब होही जयमाल ।। जोगीरा सारा रारा .. जोगीरा सारा रारा .. होली हे होली हे होली, धरव मया के रंग । प्रेम जवानी सब मा छाये, सबके एके ढंग ।। जोगीरा सारा रारा .. जोगीरा सारा रारा ..

भठ्ठी ल करव बंद

दारू म छठ्ठी छकत हवय गा, दारू म होय बिहाव । दारू म मरनी-हरनी होवय, मनखे करे हियाव ।। दरूहा-दरूहा के रेम लगे, सजे रहय दरबार । दारू चुनावी दंगल गढ़थे, अउ गढ़थे सरकार ।। गली-गली मा शोर परत हे, भठ्ठी ल करव बंद । पीयब छोड़ब कहय न कोनो, कहय रमेशानंद ।।

मन के अंधियारी मेट ले

मन के अंधियारी मेट  ले (सरसी छंद) मन के अंधियारी मेट ले, अंतस दीया बार । मनखे मनखे एके होथे, ऊंच-नीच ला टार ।। घर अँगना हे चिक्कन चांदन, चिक्कन-चिक्कन खोर । मइल करेजा के तैं धो ले, बांध मया के डोर । मन के दीया बाती धर के, तेल मया के डार।। मन के अंधियारी मेट ले, अंतस दीया बार । जनम भूमि के दाना पानी, हवय तोर ये देह । अपन देष अउ धरम-करम मा, करले थोकिन नेह ।। अपने पुरखा अउ माटी के, मन मा रख संस्कार । मन के अंधियारी मेट ले, अंतस दीया बार । नवा जमाना हे भौतिक युग, यंत्र तंत्र ला मान । येमा का परहेज हवय गा, रखव समय के ध्यान । भौतिक बाहिर दिखवा होथे, अंतस के संस्कार । मन के अंधियारी मेट ले, अंतस दीया बार ।

आगे आगे सावन आगे

आगे आगे सावन आगे, जागे भाग हमार । अपन मनौती मन मा लेके, जाबो शिव दरबार ।। धोवा धोवा चाउर धर ले, धर ले धतुरा फूल । बेल पान अउ चंदन धर ले, धर ले बाती फूल ।। दूध रिको के पानी डारब, अपन मया ला घोर । जय जय महादेव शिव शंकर, बोलब हाथे जोर ।। सोमवार दिन आये जतका, रहिबो हमन उपास । मन के पीरा हमरे मिटही, हे हमला विश्वास ।। मन मा श्रद्धा के जागे ले, मिल जाथे भगवान । नाम भले हे आने आने, नो हय कोनो आन ।।

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