सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दंडकला छंद लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

खेत-खार म जहर-महुरा

खेत-खार म जहर-महुरा (दंडकला छंद) कतका तैं डारे, बिना बिचारे, खेत-खार म जहर-महुरा । अपने मा खोये, तैं हर बोये, धान-पान य चना-तिवरा ।। मरत हवय निशदिन, चिरई-चिरगुन, रोगे-राई मा मनखे । मनखे सब जानय, तभो न मानय, महुरा ला डारय तनके ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

मोर दूसर ब्लॉग