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कतका झन देखे हें-

कोरोना के डंस, लॉकडाउन के चाबे (छप्‍पय छंद)

 कोरोना के डंस, लॉकडाउन के चाबे (छप्‍पय छंद) ये कोरोना रोग, लॉकडाउन ला लाये । रोजी-रोटी काम, हाथ ले हमर नगाये ।। रोग बड़े के दोख, सबो कोती ले मरना । जीना हे जब पोठ, रोग ले अब का डरना ।। कोरोना के ये कहर, काम-बुता ला तो छिने । बिना रोग के रोग मा, मरत ला कोन हा गिने ।। गिनत हवय सरकार, दिखय जेने हा आँखी । गिनय कोन गा आज, झरे कतका के पाँखी ।। कोरोना के डंस, लॉकडाउन के चाबे । खाली होगे हाथ, गीत काखर तैं गाबे ।। बिन पइसा के जिंनगी, मछरी तरिया पार के । जीना-मरना एक हे, पइसा बिन परिवार के । देवय कोने काम, काम चाही जी हम ला । काम नहींं ना दाम, कोन देखावय दम ला । अटके आधा सॉस, लॉकडान के मारे गा । डोंगा हे मझधार, कोन हम ला अब तारे गा ।। कोरोना के फेर मा, हमर लुटा गे नौकरी । काम चलाये बर हमर, बेचागे सब बोकरी ।।

जेखर बल परताप, टिके हे धरती तरिया

 कुण्‍डलियां तरिया भीतर तउरथे, जिंदा मछरी लाख । चार मरे मछरी लखत, डोलय काबर साख ।। डोलय काबर साख, देख बिगड़े ओ चारे । बिगड़े रद्दा रेंग, जेन रहिथे सब ला मारे । मनखे कई हजार, नई हे मन के करिया । जेखर बल परताप, टिके हे धरती तरिया ।। -रमेश चौहान

नीति के दोहा

 नीति के दोहा धरम करम के सार हे, जिये मरे के नेंग । जीयत भर करले करम, नेकी रद्दा रेंग ।। करम तोर पहिचान हे, करम तोर अभिमान । जइसे करबे तैं करम, तइसे पाबे मान ।। करे बुराई आन के, अपनो अवगुण देख । धर्म जाति के आदमी, गलती अपने सरेख ।। पथरा लकड़ी चेंदरा, अउ पोथी गुरू नाम । आस्था के सब बिम्ब हे, माने से हे काम ।। आस्था टोरे आन के, डफली अपन बजाय । तोरो तो कुछु हे कमी, ओला कोन बताय ।। मनखे ला माने कहाँ, मनखे मनखे एक । ऊँच-नीच घिनहा बने, सोच धरे हस टेक ।। बदला ले के भाव ले, ओखी जाथे बाढ़ । भुले-बिसरे भूल के, ओखी झन तैं काढ़  ।। -रमेश चौहान

दू-चारठन मुक्‍तक -नवा जनरेशन

दू-चारठन मुक्‍तक -नवा जनरेशन 1. लइका कुछ बात मानय नहीं (बहर-212 212 212) लइका कुछ बात मानय नहीं काम कुछु वो ह जानय नहीं मैं ददा का करॅंव सोच के कुछु करे बर कभू ठानय नहीं 2.तोर पूछी टेड़गा हे, मोर हा तो सोझ हे (बहर-2122 2122 21222 212) तोर पूछी टेड़गा हे, मोर हा तो सोझ हे गोठ गुरतुर मोर हे, तोर हा नुनझुर डोझ हे ये उखेनी आय तोरे, बात ला अब समझ सोच येही हा हमर बर, आज भारी बोझ हे 3.. संस्कृति हा नवा जनरेशन म मरगे टूरा मन नशा के टेशन म मरगे टूरी मन नवा के फेशन म मरगे काला का कही रे अपने ह बैरी संस्कृति हा नवा जनरेशन म मरगे

छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस

छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस  माटी के संस्कार मा,सबला होवय नाज ।। हमर राज छत्तीसगढ़,  दिवस स्थापना आज । दिवस स्थापना आज,  बधाई गाड़ा-गाड़ा । बने रहय संस्कार, जेखरे ये हा माड़ा ।। अपने बोली बोल, धरव अपने परिपाटी । तोरे ये संस्कार, तोर आवय ये माटी ।। -रमेश चौहान

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