बेटी-बहू बेटी हमरे आज के, बहू कोखरो काल । बहू गढ़य परिवार ला, राखय जोर सम्हाल ।। राखय जोर सम्हाल, बहू जइसे हे चिरई । तिनका-तिनका जोर, खोंधरा ओखर बनई ।। सास-ससुर मां बाप, मान राखय जी तुहरे । सुग्घर बहू कहाय, मान तब बेटी हमरे ।।
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम
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प्रयागराज, जिसे त्रिवेणी संगम के लिए जाना जाता है, इस वर्ष महाकुंभ के पावन
अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं, साधु-संतों और पर्यटकों का स्वागत कर रहा है।
महाकुंभ क...
2 हफ़्ते पहले