लुहुर तुहुर मोरे मन होगे,तोरे बर रुझवाये । तोरे मुच मुच हँसना गोरी, मोला गजब सुहाये। बैइही बरन मोला लागे, सुन सुन भाखा तोरे । मया घोरे बोली हा तोरे, चिरे करेजा मोरे । कारी कारी चुन्दी तोरे, बादर बन के छाये । झाकत तोरे मुखड़ा गोरी, मोला बड़ भरमाये । आँखी आँखी म मया बोरे, अँखिया बाण चलाये । घायल हिरणीया मन मोरे, तड़प तड़प मर जाये ।। मोरे मन हा अंतस तोरे, बुड़े मया के दहरा । लहर लहर कतका लहराये, तोर मया के लहरा ।। तोर मया मा मन हा रंगे, जइसे दूध म पानी । तैं हर मोरे मन के राजा, मैं हर तोरे रानी ।।
एक लघु आलेख:अब युद्ध क्यों होते हैं? – डॉ. अर्जुन दूबे
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त्रेता युग में रचा गया राम-रावण युद्ध भारतीय इतिहास की उस पहली महान कथा का
रूप ले चुका है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच की रेखा स्पष्ट खींच दी…
6 दिन पहले