चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के घर कुरिया लिप पोत के, खोर अंगना सजाबो जैतखाम मा सादा झंड़ा, फेरे नवा चढाबो अउ चैका हम कराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के सादा सादा ओढ़ना पहिरे, सादगी ला बगराबो छांझ मांदर हाथ धरे, गुरू के जस ला गाबो अउ पंथी नाच देखाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के गुरू संदेशा मन मा धरे, सत के अलख जगाबो सत के रद्दा रद्दा रेंग रेंग, सतलोक मा जाबो सतनाम धजा फहराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के ओ संगी गुरू घासी दास के
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
1 दिन पहले