चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के  गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के   घर कुरिया लिप पोत के, खोर अंगना सजाबो  जैतखाम मा सादा झंड़ा, फेरे नवा चढाबो  अउ चैका हम कराबो, गुरू घासी दास के  गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के    सादा सादा ओढ़ना पहिरे, सादगी ला बगराबो  छांझ मांदर हाथ धरे, गुरू के जस ला गाबो  अउ पंथी नाच देखाबो, गुरू घासी दास के  गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के   गुरू संदेशा मन मा धरे, सत के अलख जगाबो  सत के रद्दा रद्दा रेंग रेंग, सतलोक मा जाबो  सतनाम धजा फहराबो, गुरू घासी दास के  गुरू घासी दास के ओ संगी गुरू घासी दास के     
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
1 दिन पहले
